Chhattisgarh: बस्तर में ग्रामीणों अपने ही गांव वालों को दे दी चेतावनी, बोले- 'मूल धर्म में वापस नहीं आए तो...'
Bastar News: डिप्टी कलेक्टर ए.आर राणा का इस कहना है कि भेजरीपदर गांव के लोगों ने 12 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन दिया है और कहा है कि यहां धर्म परिवर्तन करने वाले लोग नहीं रहेंगे.
Bastar News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) में धर्मांतरण की आग और फैलती नजर आ रही है. गांव-गांव में बढ़ते धर्मांतरण का विरोध करने के लिए अब मूल धर्म के आदिवासी सड़क पर उतर रहे हैं. जिले के भेजरीपदर गांव में विशेष समुदाय की मृत महिला के शव दफन करने के बाद विशेष समुदाय और मूल धर्म के आदिवासियों के बीच के आपसी विवाद का मामला अभी पूरी तरह से सुलझा भी नहीं है. वहीं, एक बार फिर इसी गांव के मूल धर्म के आदिवासियों ने धर्म परिवर्तन करने वाले गांव के कुछ लोगों के लिए नया फरमान जारी किया है.
ग्रामीणों ने ग्राम सभा में फरमान जारी कर कह दिया है कि अगर इस गांव में धर्म परिवर्तन करने वाले लोग वापस अपने मूल धर्म में नहीं लौटे, तो उन्हें गांव से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. उन्हें अपना गांव और घर छोड़ना पड़ेगा. इस मामले में बकायदा 100 से ज्यादा ग्रामीणों ने जगदलपुर कलक्ट्रेट पहुंचकर बस्तर डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा है. जगदलपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीणों ने बस्तर कलेक्टर को साफ कह दिया है कि अब भेजरीपदर गांव में धर्म परिवर्तन करने वाले लोग नहीं रहेंगे.
धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों को गांव से किया जाएगा बाहर
उन्होंने कहा कि इसके लिए ग्रामीणों ने बैठक कर सामूहिक रूप से निर्णय लिया है कि जिन परिवारों ने ईसाई धर्म अपनाए हैं, अगर वो वापस अपने मूल धर्म में नहीं लौटते तो उन्हें गांव से और उनके घर से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. यही नहीं उन्हें गांव में रहने नहीं दिया जाएगा. इस गांव के ग्रामीणों का कहना है कि भेजरीपदर गांव के लगभग 50 से अधिक परिवारों ने ईसाई धर्म अपना लिया है, जो कि गलत है.
आदिकाल से ही आदिवासी अपने मूल धर्म में रहकर देवी-देवताओं और प्रकृति की पूजा करते आ रहे हैं, लेकिन कुछ सालों से गांव में धर्मान्तरण के मामले बढ़े हैं और प्रलोभन में पड़कर लोग यहां अपने धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म अपना रहे हैं, लेकिन अब ऐसा बिल्कुल होने नहीं दिया जाएग. इसके लिए सभी ग्रामीण एक होकर ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित करेंगे. फिलहाल मूल धर्म के आदिवासी ग्रामीणों ने फरमान जारी कर दिया है कि जिन्होंने भी धर्म परिवर्तन किया है वह अगर अपने मूल धर्म में वापसी नहीं करते हैं तो उन्हें गांव से बाहर कर दिया जाएगा.
सरपंच के खिलाफ लाया जाएगा अविश्वास प्रस्ताव
वहीं ग्रामीणों के साथ पहुंचे सर्व आदिवासी समाज के जिला उपाध्यक्ष महेश कश्यप ने बताया कि सिर्फ भेजरीपदर गांव ही नहीं बल्कि बस्तर जिले के कई गांव में ईसाई धर्म से कुछ लोगों के द्वारा मूल धर्म के आदिवासियों को धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रलोभन दिया जा रहा है. भोले-भाले आदिवासियों को अपनी पुरानी परंपरा रीति रिवाज और पूजा पाठ छोड़ने को मजबूर किया जा रहा हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा.
इसलिए भेजीपदर गांव के ग्रामीणों ने काफी सोच समझकर और सामूहिक रूप से बैठक कर यह निर्णय लिया है कि धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों को अपने मूल धर्म में वापस लौटने को कहा जाएगा. अगर वो मना करते हैं तो उन्हें गांव से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. गांव वाले इस फैसले की जानकारी देने बस्तर कलेक्टर के पास पहुंचे थे. महेश कश्यप ने बताया कि खुद भेजीपदर गांव के सरपंच ने भी अपना धर्म परिवर्तन किया है.
उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा. अगर वह भी अपने मूल धर्म में वापसी नहीं करते हैं, तो अविश्वास प्रस्ताव लाकर प्रशासन से सरपंच को हटाने की मांग की जाएगी. उसके बाद पंचायत चुनाव में नया प्रस्ताव लाने की मांग की जाएगी. इसमें कोई भी विशेष धर्म का व्यक्ति संवैधानिक पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकेगा.
12 सूत्रीय मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन
इधर कलेक्टर के गैर मौजूदगी में ग्रामीणों ने डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. डिप्टी कलेक्टर ए.आर राणा का इस मामले में कहना है कि भेजरीपदर गांव के लोगों के द्वारा 12 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन दिया गया है, जिसमें दूसरे धर्म को अपनाने वाले लोगों के लिए गांव में नेंग रस्म आयोजित कर उनकी मूल धर्म में वापसी कराने की मांग है. साथ ही ये मांग भी की गई है कि ग्रामसभा में अपने धर्म में वापसी नहीं करने वाले लोगों को गांव से बाहर किया जाए. डिप्टी कलेक्टर ने कहा कि इस मामले को खुद बस्तर कलेक्टर संज्ञान में लेंगे और जो भी कानून के तहत कार्यवाई होगी वह की जाएगी.