Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में देश-दुनिया से घूमने आने वाले पर्यटकों को आदिवासियों की संस्कृति यहां के रीति रिवाज, रहन-सहन, वेशभूषा से रूबरू करने और लोकल व्यंजन का स्वाद चखाने के लिए शुरू की गई ट्राइबल होमस्टे के कॉन्सेप्ट को पर्यटकों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है, जिसके चलते बस्तर जिले के कई गांव में ट्राईबल कल्चर होमस्टे की सुविधा पर्यटकों के लिए मुहैया कराई गई है, वहीं इन्हीं होमस्टे में धुरवा डेरा पर्यटकों के लिए पहली पसंद बनी हुई है. इस धुरवा डेरा में नए साल के मौके पर बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचे और यहां रुककर आदिवासी कल्चर का लुफ्त उठाया.


स्वादिस्ट व्यंजन पर्यटकों को भोजन में परोसा जाता है
जगदलपुर शहर से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दरभा ब्लॉक के कोटमसर पंचायत में मौजूद दुढ़मारास गांव में बनाया गया है. इस होमस्टे की खास बात यह है कि इसे एक आदिवासी बाढ़ा (डेरा) की तरह बनाया गया है, और यहां ठहरने वाले पर्यटकों की सुविधा का खास ख्याल रखा गया है. खास बात यह है कि यहां पर्यटकों को आदिवासी कल्चर से रूबरू कराया जाता है, लोकल और देसी स्वादिस्ट व्यंजन पर्यटकों को भोजन में परोसा जाता है. अदिवासी ग्रामीणों की तरह ही तेंदू के बड़े-बड़े पत्तों की दोनी और पतरी बनाकर इसमें ट्रेडिशनल फूड का स्वाद यहां पहुंचने वाले पर्यटक लेते हैं.


इसके अलावा कांगेर वैली नेशनल पार्क के अंदर खूबसूरत वादियों के बीच बनाए गए इस धुरवा डेरा से बस्तर के ग्रामीण अंचलों की खूबसूरती दिखाई देती है. साथ ही आसपास मौजूद गांव में आदिवासी परंपरा, रीति रिवाज देखने को मिलती है.


पर्यटको का मिल रहा अच्छा रिस्पांस
दरअसल धुरवा डेरा को गांव के ही युवा "इको विकास समिति" के द्वारा संचालित किया जा रहा है, रायपुर से करीब 340 किलोमीटर दूर और जगदलपुर से 40 किलोमीटर की दूरी पर दरभा ब्लॉक के कुटुमसर पंचायत के दुढ़मारास गांव में मौजूद इस धुरवा डेरा होमस्टे को पर्यटकों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. ईको विकास समिति के सदस्य मानसिंह बघेल ने बताया कि पिछले 20 दिनों में अब तक यहां 10 से 12 परिवार ठहर चुके हैं.


पूरी तरह से इस धुरवा डेरा को बस्तर के नैसर्गिक सौंदर्य के बीच बनाया गया है, जहां से एक  किलोमीटर की दूरी पर कांगेर वाटरफॉल है तो वही कांगेर वैली पार्क के खूबसूरत घने जंगल और छोटे छोटे तालाब और पहाड़ है. मानसिंह बघेल ने बताया कि एक परिवार के लिए यहां 1 दिन का चार्ज 1500 रुपये  रखा गया है, जिसमें देसी हटस का आनंद लेने के साथ यहां पर्यटकों को पूरी तरह से बस्तर के आदिवासियों की ट्रेडिशनल फूडस परोसा जाता है.


भोजन का चार्ज अलग से
हालांकि इसमें भोजन का चार्ज अलग रखा गया है. पर्यटकों का कहना है कि शहर के चकाचौंध और बाहरी दुनिया से बिल्कुल दूर इस होमस्टे में काफी शांति का माहौल पर्यटक महसूस कर सकते हैं, और इस होमस्टे के आसपास बस्तर की प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद उठा सकते हैं, कांगेर वैली पार्क के भीतर बनी इस धुरवा डेरा में पर्यटकों की व्यवस्था का खास ख्याल रखा गया है और यहां के हट्स लोगों को खूब भा रहे हैं.


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