Bastar: केंद्र सरकार की अंत्योदय अन्न योजना के तहत गरीब परिवारों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत दिए जा रहे सरकारी चावल की कालाबाजारी किस तरह से हो रही है, इसकी बानगी छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में देखने को मिल रही है. आरोप लगाए गए हैं कि पीडीएस की दुकानों से खुलेआम गरीबों को दी जाने वाले सरकारी चावल की कालाबाजारी की जा रही है. पीडीएस दुकान संचालक हितग्राहियों को दिए जाने वाले चावल को उनसे औने-पौने दामों में खरीदकर कालाबाजारी कर इसे राइस मिल में और पड़ोसी राज्य ओडिशा में खपा रहे हैं. आरोप है कि राइस मिलर्स और पीडीएस दुकान संचालक सरकारी चावल पर पॉलिश कर इसके दाम बढ़ाकर खुले बाजार में बेच रहे हैं, जिससे पीडीएस दुकान संचालक और राइस मिल मालिकों की लाखों रुपये की कमाई हो रही है.
जगदलपुर के संतोषी वार्ड हो रही धड़ल्ले से कालाबाजारी
जगदलपुर शहर के ही संतोषी वार्ड में पिछले कुछ महीनों से धड़ल्ले से इसी तरह चावल की कालाबाजारी हो रही है, महीने में 100 क्विंटल यानी 10 हजार किलो चावल की हेराफेरी दुकान संचालक के स्तर से की जा रही है.. खास बात यह है कि जो गरीब परिवार राशन कार्डधारी अपने खाने के लिए चावल भी लेना चाह रहे हैं, उन्हें चावल नहीं दिया जा रहा है. चावल के बदले उनके हाथ में कुछ रकम पकड़ा दी जा रही है और राशन कार्ड व दुकान के रजिस्टर में दस्तखत या फिर अंगूठा के निशान लगवा लिए जा रहे हैं, ये हाल जिले के केवल एक पीडीएस दुकान का नहीं बल्कि जिले में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के भी कई पीडीएस दुकानों में सरकारी चावल की जमकर कालाबाजारी की जा रही है.
हितग्राहियों से जबरन छीना जा रहा राशन
बीपीएल राशन कार्डधारी हितग्राहियों ने बताया कि उन्हें हर महीने सरकार की ओर से फ्री में सरकारी चावल दिया जाता है, जब वे इस पीडीएस की दुकान में चावल लेने पहुंचते हैं तो दुकान के संचालक उन्हें पैसे का लालच देते हैं और चावल को बेचने को कहते हैं. जो हितग्राही चावल नहीं बेचना चाहते उन पर भी दबाव बनाया जाता है.जिसके बाद कुछ हितग्राही उनकी बातों में आकर उन्हें चावल बेच देते हैं और इसके बदले कुछ ही रकम दे देते हैं, जिसके बाद इस पीडीएस के दुकान से बकायदा ऑटो में सरकारी चावल को लोड किया जाता है और इसे राइस मिलर्स को बेच दिया जाता है, जहां से चावल में पॉलिश कर इसे बाजार में 25 से 30 रुपये किलो में बेचा जाता है.
नियम के मुताबिक, पीडीएस दुकान के सरकारी चावल को हितग्राहियों को दिया जाना है ना कि इसकी कालाबाजारी की जानी है, बावजूद पैसे के लालच में दुकान संचालक हर महीने एक पीडीएस दुकान से करीब 10 हजार किलो चावल बाहरी राज्यो में बेचता है, यही नहीं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दी जाने वाली केरोसिन भी हितग्राहियों को नहीं देकर इसकी भी जमकर कालाबाजारी की जाती है..
हर महीने हजारों क्विंटल चावल की हो रही कालाबाजारी
इधर संतोषी वार्ड के पीडीएस दुकान के संचालक धर्मेंद्र देवांगन का कहना है कि उनके पास 800 से ज्यादा कार्डधारी हितग्राही हैं, वे खुद मानते हैं कि हितग्राहियों से चावल खरीद लेते हैं. यह अपराध होने के बावजूद धड़ल्ले से सरकारी चावल का खरीद फरोख्त कर कालाबाजारी करते हैं . दुकान संचालक धर्मेंद्र देवांगन का कहना है कि ये हाल उनकी ही राशन दुकान का नहीं है बल्कि ऐसी कई राशन दुकान हैं, जहां से चावल की कालाबाजारी की जाती है, इससे महीने में लाख रुपये की कमाई होती है ,कुल मिलाकर गरीबों के निवाले पर डाका डाला जाता है.
सरकारी चावल बेचना अपराध की श्रेणी में आता है
बस्तर जिले के खाद्य अधिकारी घनश्याम राठौर का कहना है कि पीडीएस की दुकानों में गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को दिए जाने वाली चावल में किसी तरह की हेराफेरी नहीं की जा सकती,अगर कोई दुकान संचालक हितग्राहियों को मिलने वाले सरकारी चावल को दूसरे राज्यों में या फिर मिलर्स को बेचता है तो उस पर कार्रवाई का प्रावधान है,अधिकारी ने कहा कि ऐसी शिकायत उन्हें भी कई बार मिली है और पिछले 7 से 8 महीने में जिले में 5 से 6 राशन दुकान संचालकों पर कार्रवाई की गई है. जिसमें राशन दुकान संचालक पर थाने में शिकायत दर्ज की जा चुकी है ,उन्होंने कहा कि इस शिकायत के बाद बकायदा इसकी जांच की जाएगी और सरकारी चावल की कालाबाजारी के मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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