Chhattisgarh: बस्तर संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में डॉक्टर बने भगवान, गंभीर रूप से बीमार डेढ़ साल की बच्ची की बचाई जान
Bastar: बस्तर संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की टीम ने एक डेढ़साल की बच्ची की बेहतर इलाज से जान बचा ली है. बच्ची मलेरिया और जापानीबुखार से पीड़ित थी.
Dimrapal Hospital: बस्तर (Bastar) संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज डिमरापाल अस्पताल (Dimrapal Hospital) में डॉक्टरों ने एक बार फिर से बड़ा कारनामा कर दिखाया है. दरअसल यहां डॉक्टरों ने 48 घंटे तक वेंटिलेटर पर रखी एक डेढ़ साल की बच्ची को मौत के मुंह से निकाला और उसे नई जिंदगी दी है. दरअसल, बच्ची मलेरिया और जापानी बुखार से पीड़ित थी. मलेरिया बच्ची के दिमाग पर चढ़ गया था, लेकिन डॉक्टरों ने सूझबूझ और 48 घंटो तक किए गए बेहतर इलाज से बच्ची की जिंदगी बचा ली.
इससे बच्ची के माता पिता काफी खुश है और उन्होंने डिमरापाल के डॉक्टर्स की टीम को धन्यवाद दिया है. डिमरापाल अस्पताल के अधीक्षक अनुरूप साहू ने बताया कि बीजापुर (Bijapur) जिले के भैरमगढ़ ब्लॉक के सबसे अंदरूनी क्षेत्र पिनकोड़ा गांव में रहने वाले एक दंपति की डेढ़ साल की बच्ची की तबियत बिगड़ने के कारण उसे कुछ दिन पहले बीजापुर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां बच्ची की हालत और अधिक बिगड़ते देख उसे जगदलपुर (Jagdalpur) डिमरापाल अस्पताल रेफर कर दिया गया.
48 घंटे तक वेंटिलेटर पर रखा
उन्होंने बतया कि यहां अस्पताल में पहुंचते ही डॉक्टरों ने बच्ची की गंभीर अवस्था को देखते हुए उसका इलाज शुरू कर दिया. बच्ची के शरीर में खून की मात्रा दो ग्राम थी. उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी. इसके अलावा बच्ची में झटके आने के साथ ही मलेरिया और जापानी बुखार के लक्षण दिखे. यही कारण है कि डॉक्टरों ने बिना समय गवाएं उसे तत्काल वेंटिलेटर पर रखा और लगातार दवाइयां दी. 48 घंटे तक वेंटिलेटर पर रखने के बाद उसे बाहर निकाला गया और शिशु वार्ड में रखा गया. कुछ दिनों तक कड़ी मशक्कत करते हुए डॉक्टरों ने बच्ची को बीमारी से बाहर निकाला. इसके बाद अब बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है.
बच्ची को मिली नई जिंदगी
अस्पताल अधीक्षक ने बताया कि 48 घंटे तक डॉक्टरों की टीम बच्ची को बचाने के लिए डटी रही और आखिरकार उसको को नई जिंदगी मिली. बच्ची के परिजनों ने डॉक्टरों को धन्यवाद देते हुए करते हुए डिस्चार्ज ले लिया है. गौरतलब है कि कुछ महीने पहले भी इसी तरह का एक मामला डीमरापाल अस्पताल में सामने आया था. इस मामले को भी गंभीरता से देखते हुए डॉक्टरों की टीम लगातार 72 घंटों तक डटी रही.
तब चार साल के बच्चे की हालत काफी नाजुक थी, लेकिन डॉक्टरों ने हार नहीं मानी. डॉक्टरों ने बच्चे का बेहतर इलाज किया, जिससे उसे नई जिंदगी मिली. फिलहाल डॉक्टरों की टीम की सफलता के लिए बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम औऱ मुख्य चिकित्सा अधिकारी आर.के चतुर्वेदी ने भी डॉक्टरों का हौसला अफजाई की है.
Chhattisgarh: कोरबा जिले में प्रवेश निषेध के बाद भी नहीं मान रहे भारी वाहन, कॉलोनी के लोग परेशान