Bastar Migration: छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) संभाग में धान कटाई और सरकार की धान खरीदी (Paddy Buying) समाप्त होने के बाद एक बार फिर से हजारों की संख्या में ग्रामीणों के पलायन का दौर शुरू हो गया है. काम (Work) की तलाश में बड़ी संख्या में बस्तर संभाग के हजारों ग्रामीण तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं. पलायन करने वालों में महिला, पुरुष और बड़ी संख्या में युवा भी शामिल हैं.


सरकार को जिम्मेवार ठहरा रहा विपक्ष
इधर, विपक्ष का आरोप है कि सरकार स्थानीय स्तर पर इन ग्रामीण युवाओं को रोजगार देने में पूरी तरह से नाकामयाब साबित हो रही है. शासन प्रशासन भी बस्तर से पलायन रोक पाने में विफल साबित हो रहा है. यही वजह है कि बस्तर संभाग के अंदरूनी इलाकों में पूरे गांव के गांव रोजी-रोटी और परिवार के पालन पोषण के लिए घर के पूरे सामान के साथ दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं. इतनी बड़ी संख्या में ग्रामीणों के पलायन से मानव तस्कर भी पूरी तरह से सक्रिय हैं. हर साल पलायन के दौरान बस्तर के कई ग्रामीण लापता हो जाते हैं. यही नहीं कई महिलाएं भी मानव तस्करी का शिकार होती हैं. बावजूद इसके पलायन रुक नहीं रहा है. इसके लिए विपक्ष राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है.


ऑनलाइन पेमेंट बनी ग्रामीणों के लिए मुसीबत


एक तरफ राज्य सरकार बस्तर से ग्रामीणों का पलायन रोकने के लिए और लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने कई योजनाएं चलाने के दावे कर रही है. सरकार इन योजनाओं के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं, महिलाओं और पुरुषों को रोजगार मिले, इसके लिए प्रयास करने की बात कह रही है. दूसरी तरफ जनवरी माह खत्म होते ही हजारों ग्रामीणों का पलायन शुरू हो गया है. खासकर बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि राज्य सरकार उन्हें रोजगार उपलब्ध नहीं करा पा रही है.


मनरेगा के तहत साल के 12 महीने काम देने का वादा तो किया जाता है, लेकिन समय पर मजदूरी नहीं मिल पाती है. ऑनलाइन पेमेंट की वजह से पैसे निकालने की कोई सुविधा नहीं है. बैंक से रकम निकालने बार-बार कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. दूसरी योजनाओं में भी उन्हें काम नहीं मिल पाता है. ग्रामीणों का कहना है कि स्वरोजगार देने की बात तो की जाती है, लेकिन शासन प्रशासन कोई संसाधन उपलब्ध नहीं कराता, फॉर्मेलिटीज इतनी होती है कि कोई भी ग्रामीण युवा स्वरोजगार करने की नहीं सोचता. यही वजह है कि वे पलायन को हैं.


विपक्ष का आरोप सरकार नहीं दे पा रही रोजगार
श्रम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बस्तर संभाग से हर साल 10 हजार से ज्यादा ग्रामीण रोजगार की तलाश के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं. हालांकि इनकी सही जानकारी तो श्रम विभाग के पास भी नहीं है. लेकिन, कई बार इन बस्तर की ग्रामीण महिलाएं मानव तस्करी का शिकार हो जाती हैं.


उन राज्यों के ठेकेदार भी ग्रामीणों का शोषण करते हैं. ऐसी कई शिकायतें श्रम विभाग को मिली हैं. इसके बाद विभाग के कर्मचारियों और बस्तर पुलिस ने दूसरे राज्यों में बंधक बनाए बस्तर के मजदूरों को छुड़ाकर वापस लाया है. बावजूद इसके पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा है.


बीजेपी ने लगाए ये आरोप
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता केदार कश्यप का कहना है कि बीजेपी शासनकाल के 15 साल में इतना पलायन नहीं हुआ, जितना कांग्रेस के बीते चार सालों के कार्यकाल में. दूसरे राज्यों के ठेकेदार बस्तर में इस कदर सक्रिय हैं कि गांव के गांव को रोजगार देने के लालच में खाली करवा रहे हैं. बीजेपी नेता ने कहा कि फरवरी महीने से ही सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर और कोंडागांव, नारायणपुर से हजारों ग्रामीणों ने पलायन शुरू कर दिया है.


इनमें से ऐसी कई ग्रामीण महिलाएं हैं, जो मानव तस्करी का शिकार हो रहीं हैं. विडंबना यह कि शासन के पास पलायन करने वाले ग्रामीणों का कोई रिकॉर्ड तक नहीं  है. राज्य सरकार इन युवाओं और ग्रामीणों को रोजगार दिलाने में नाकामयाब है. यही वजह है कि बस्तर से ग्रामीणों के पलायन का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है.


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