Dussehra 2022 Date: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) में 75 दिनों तक मनाए जाने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत हो गई. कोरोना काल के बाद इस साल इस प्रसिद्ध बस्तर दशहरा (Dussehra) पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए सोमवार को जिला कलेक्ट्रेट में दशहरा समिति की बैठक हुई. समिति के अध्यक्ष और बस्तर के सांसद दीपक बैज की मौजूदगी में हुई इस बैठक में जिला प्रशासन के तमाम सभी अधिकारी, कर्मचारी और दशहरा पर्व समिति के सबसे प्रमुख सदस्य माझी, चालकी और मेम्बरीन के साथ ही स्थानीय लोग मौजूद रहे.
इस पर्व को इस साल बड़े धूमधाम से मनाने के लिए राज्य सरकार के सामने 86 लाख रुपए की बजट प्रस्तुत की गई. इसमें पर्व के सभी 12 से अधिक अनोखी रस्मों को निभाने के साथ मांझी चालकियों का मानदेय भी शामिल है. दीपक बैज ने बताया कि पिछले साल 73 लाख रुपए का बजट सरकार को दिया गया था. इस साल महंगाई बढ़ने की वजह से 86 लाख रुपये का बजट राज्य सरकार को प्रस्तुत किया गया है.
समिति पर है 6 लाख रुपये का कर्ज
बस्तर दशहरा की दो महत्वपूर्ण रस्म संपन्न हो चुकी है. 25 सितंबर से 11 अक्टूबर तक दशहरा पर्व के दौरान बाकि अनोखी रस्मों की अदायगी की जाएगी. हर साल इन रस्मो को बड़े धूमधाम से संपन्न कराया जाता है. इस दौरान बड़ी संख्या में बस्तर और छत्तीसगढ़ वासियों के साथ-साथ देश दुनिया से भी पर्यटक इस पर्व को और अनोखी रस्मों को देखने पहुंचते हैं. कमेटी के अध्यक्ष और बस्तर सांसद दीपक बैज ने बताया कि पर्व में किसी तरह की कोई कमी ना हो और 600 साल पुरानी रस्मों को उसी पद्धति से और विधिवत रूप से संपन्न कराया जाए. इसके लिए राज्य सरकार से इस बार ज्यादा बजट की मांग की गई. इस साल 86 लाख रुपए का बजट राज्य सरकार को प्रस्तुत किया गया.
पूजा समिति पर 6 लाख रुपये की उधारी
दीपक बैज ने बताया कि पिछले साल के दशहरा पर्व में 6 लाख रुपये की उधारी समिति पर है और समिति द्वारा इस कर्ज को चुकाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं सांसद दीपक बैज ने बताया कि इस साल पर्व में किसी तरह की उधारी ना हो इसकी भी पूरी कोशिश की जाएगी. फिलहाल कोरोना काल के 2 साल बाद इस पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए जिला प्रशासन के सभी अधिकारी कर्मचारियों के साथ ही स्थानीय लोग और सभी जनप्रतिनिधि भी इसकी तैयारी में लग गए हैं. इस साल दशहरा समिति द्वारा बलराम मांझी को सर्वसम्मति से कमेटी का उपाध्यक्ष बनाया गया. दशहरा पर्व के प्रमुख मांझी चालकियों का कहना है कि उन्हें समय पर मानदेय नहीं मिलता. ऐसे में इस साल उन्होंने सभी को समय पर मानदेय देने की मांग अध्यक्ष के सामने रखी.
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