Bastar Dussehra: जगदलपुर में 75 दिनों तक चलने वाले 'बस्तर दशहरा' में उमड़ा जनसैलाब, क्या है 800 साल पुरानी परंपरा?
Bastar Dussehra 2024: जगदलपुर में 75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरा को दुनिया का सबसे लंबा त्योहार माना जाता है. बुधवार को इसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी.
Bastar Dussehra 2024 News: छत्तीसगढ़ में 75 दिनों तक चलने वाला विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा (Bastar Dussehra) पर्व मनाया जा रहा है. इस बीच बुधवार (9 अक्तूबर) को जगदलपुर में बस्तर दशहरा को देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. इस पर्व को दुनिया का सबसे लंबा त्योहार माना जाता है. यह परंपरा 800 सालों से चली आ रही है. इस अवसर पर श्रद्धालु लकड़ी के विशाल रथ को खींचते हैं.
बस्तर दशहरा पर्व का हर रस्म पूरे विधी विधान से पूरा किया जाता है. इसके लिए मां काछन देवी से अनुमति ली जाती है. लगभग 800 सालों से भी अधिक समय से चली आ रही परंपरा को पूरा करने के लिए बस्तर महाराजा मां काछन देवी से अनुमती लेने काछन गुड़ी पहुंचते हैं. वो माता से आशीर्वाद मांगते है कि बस्तर सहित प्रदेश में खुशहाली बनी रहे और दशहरा पर्व बिना किसी विघ्नन के पूरा हो सके.
क्यों खास है बस्तर दशहरा?
वहीं माता से अनुमति लेने के बाद बस्तर दशहरा की शुरुआत की जाती है. छत्तीसगढ़ का बस्तर दशहरा दो खास वजहों से काफी फेमस है. पहला यहां दशहरा 75 दिनों का होता है, तो दूसरा इसमें रावण का दहन नहीं किया जाता. यहां रथ की परिक्रमा की परंपरा है. बस्तर दशहरा की चर्चा देश-दुनिया में होती है. इस समारोह में शामिल होने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ-साथ विदेशों से भी सैलानी आते हैं.
आपको बता दें काछन देवी एक छह साल की कन्या पर सवार होती हैं और वह पंनका जाती की होती हैं, जिसे रण की देवी कहा जाता है. ये पंरपरा सदियों से चली आ रही है और इसे आज भी पूरे विधि विधान के साथ पूरा किया जाता है.
#WATCH | President - Bastar Dussehra Committee and MP Mahesh Kashyap says, "... We start by taking permission for Dussehra from Kachan Devi. The first priest of Bastar gets permission from the Maharaja of Bastar and then permission is received from Raila Devi after that the… https://t.co/OJRpVknXLP pic.twitter.com/GeefI11rEj
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) October 10, 2024
सांसद महेश कश्यप ने क्या कहा?
बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष और सांसद महेश कश्यप ने कहा, "हम काछन देवी से दशहरा की अनुमति लेकर इसकी शुरुआत करते हैं. बस्तर के पहले पुजारी को बस्तर के महाराजा से अनुमति मिलती है और फिर रैला देवी से अनुमति मिलती है उसके बाद मावली मंदिर से फूल रथ की परिक्रमा शुरू होती है और यहां प्रतिदिन परिक्रमा होती है."
महेश कश्यप ने कहा, "75 दिनों का यह विश्व प्रसिद्ध दशहरा शहर के सभी लोगों और बस्तर के सभी समाजों की सामाजिक समरसता का एक उदाहरण है. पूज्य देवी मां दंतेश्वरी के आशीर्वाद से बस्तर ऐसे ही समृद्ध बना रहेगा और हमें उम्मीद है कि जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा से भरपूर बस्तर की पहचान पूरी दुनिया में इसी तरह बनी रहेगी."