Bastar Dussehra 2022: बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की आज अंतिम रस्म पूरी की गई. डोली विदाई (Doli Vidai) की रस्म के साथ ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व का समापन हो गया. आखिरी रस्म में मावली माता को विदाई देने बस्तर राजकुमार आते हैं. पूजा अर्चना के बाद मावली देवी की डोली को विदा किया गया. लगभग 600 वर्षों से चली आ रही परंपरा आज भी बखूबी निभाई गई. जगदलपुर शहर के गीदम रोड स्थित दीया डेरा मंदिर में जनसैलाब उमड़ पड़ा. बड़े धूमधाम से भव्य शोभायात्रा निकालकर दीया डेरा मंदिर में माता की पूजा अर्चना कर विदाई दी जाती है. मावली माता की डोली की विदाई के दौरान महिला पुलिस कर्मियों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया.


अंतिम रस्म डोली विदाई के साथ बस्तर दशहरा पर्व खत्म


बंदूक से सलामी देकर मावली माता की डोली को दंतेवाड़ा के लिए विदा किया गया. जगदलपुर में मावली परघाव की रस्म अदा की जाती है. इसके बाद बस्तर दशहरा के बचे रस्म में मावली माता की डोली को शामिल किया जाता है. बस्तर राजकुमार के न्यौता पर माता की डोली दशहरा पर्व में शामिल होने जगदलपुर लाई जाती है. दो दिन पहले बस्तर संभाग के हजारों देवी देवताओं को बस्तर राजकुमार और दशहरा पर्व समिति ने विदा किया था. आज मावली माता की डोली को विदाई दी गई.




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मावली माता की डोली को विदा करने के लिए उमड़ी भीड़


मावली माता की डोली को विदा करने के लिए शहर वासी डेढ़ किलो मीटर तक मौजूद रहे. हाथों में फूल माला और अगरबत्ती नारियल लेकर जगह-जगह मावली माता की डोली को पूजा. परंपरा अनुसार महत्वपूर्ण रस्म डोली विदाई के बाद ही दशहरा पर्व की समाप्ति होती है. मावली माता की की डोली को विदा करने के लिए महिला पुलिस कर्मियों की सलामी महिला सशक्तिकरण की मिसाल माना जाता है. 


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