Bastar Dussehra: बस्तर (Bastar) में 75 दिनों तक मनाए जाने वाले विश्व प्रसिद्ध दशहरा (Dussehra) पर्व में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहने वाले लकड़ी के 25 फिट ऊंचे दो मंजिला रथ निर्माण का काम शुरू हो गया है. बस्तर दशहरा पर्व के दौरान आठ चक्कों का ये विशालकाय रथ बनाने की परंपरा पिछले 600 सालों से लगातार चली आ रही है. इस रथ को बनाने की भी एक खास परंपरा होती है. सैकड़ों साल पुरानी परंपरानुसार इस रथ निर्माण की पूरी प्रक्रिया जिले के स्थानीय गांवो के विशेष वर्गो मे बंटी होती है. 


रथ निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली सरई की लकड़ीयों को एक विशेष आदिवासी वर्ग के लोगों के द्वारा लाया जाता है. उसके बाद इस लकड़ी की पहले विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. बस्तर जिले के  बड़ेउमर और झाड़उमर गांव के ही आदिवासी ग्रामीणों द्वारा 25 दिनों में इस रथ का निर्माण किया जाता है. इस रथ को बनाने के लिए 200  से अधिक ग्रामीण और रथ कारीगर शहर के सीरहासार भवन मे रुककर 25 दिनों के अंदर रथ तैयार करते हैं.


पेड़ों की होती है छटनी
इसके बाद विजयदशमी के दिन बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के छत्र को रथारूढ़ कर शहर में परिक्रमा लगाई जाती है. बस्तर के जानकार हेमंत कश्यप बताते हैं कि जंगल से रथ निर्माण के लिए जो लकड़ियां लाई जाती हैं, उसकी भी एक अलग ही विशेषता होती है. दरअसल, गांव के ही ग्रामीण करीब 150 से 200 साल पुराने पेड़ों की छटनी करते हैं. हालांकि कटाई के बदले उससे ज्यादा संख्या में ग्रामीण गांव में पौधों का वृक्षारोपण भी करते हैं, ताकि बस्तर दशहरा पर्व आगे भी अनवरत जारी रहे और रथ बनाने के लिए लकड़ियों की कमी ना हो.


आठ चक्कों का होता है रथ
हेमंत कश्यप बताते हैं कि बाकायदा इन पेड़ों को काटकर जगदलपुर शहर लाकर जिले के विशेष दो गांवों में लाया जाता हैं. इसके बाद इन्हीं दो विशेष गांवों के ही लगभग 200 ग्रामीण और रथ कारीगर 25 दिनों में इस दो मंजिला रथ को तैयार कर लेते हैं. ग्रामीणों में मां दंतेश्वरी देवी के प्रति गहरी आस्था जुड़ी हुई है. इसलिए वो दिन रात इस रथ को बनाने में लग जाते हैं. बस्तर दशहरे के मुख्य आकर्षण का केंद्र ग्रामीण द्वारा तैयार किया गया आठ चक्कों का ये रथ विशालकाय रथ होता है, जिसे स्थानीय भाषा में देव वाहन कहा जाता है.


रथ निर्माण का काम हो चुका है शुरू
उन्होंने बताया कि बस्तर में बारसी उतारनी के साथ ही इस रथ निर्माण का काम शुरू हो जाता है. बता दें इस साल भी रथ निर्माण के लिए सभी मजदूर सिरहासार भवन पहुंच चुके हैं और तेजी से रथ बनाने के कार्य में लग गए हैं, लेकिन मजदूरों की नाराजगी भी देखने को मिल रही है. मजदूर अपने परिवार से दूर शहर आकर देवी के प्रति आस्था के चलते ही केवल 25 दिनों में ही दिन रात मेहनत कर दो मंजिला रथ का निर्माण करते हैं, लेकिन उनका कहना है कि शासन की तरफ से भरपेट भोजन भी नहीं मिलता है.


वहीं इस मामले में बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम का कहना है कि जानकारी मिली थी कि रथ कारीगर प्रशासन की व्यवस्था से नाराज हैं. ऐसे में बस्तर दशहरा समिति के सचिव  और तहसीलदार को इन मजदूरों के लिए सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि रथ निर्माण के दौरान मजदूरों को किसी तरह के दिक्कतों का सामना करना ना पड़े. फिलहाल मजदूर इस साल बस्तर दशहरा पर्व को भव्य रूप से मनाने के लिए रथ निर्माण कार्य में जुट गए हैं.


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