Bastar News: छत्तीसगढ़ के इस जिले में है बांस की 200 प्रजातियां, बैम्बू सेटम के नाम से है मशहूर
Jagdalpur News: जैव विविधता वाले पार्क में यहां घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए पहले ही एवियरी और कैक्टस गार्डन का निर्माण किया गया है. इसके अलावा करीब 6 हेक्टेयर में बांस के 210 प्रजाति लगाए गए हैं.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ का बस्तर अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पूरे विश्व प्रसिद्ध है. यहां के पर्यटन स्थल, नदी, पहाड़ और चारों ओर से घिरे घने जंगल की खूबसूरती देखते ही बनती है. वहीं, बांस रोपण के लिए भी यहां की आबोहवा अनुकूल पाए जाने के चलते असम के बाद बस्तर में ही बांस की 200 प्रजाति देखने को मिलती है. जो लोगों के लिए मुख्य आकर्षण का भी केंद्र बनी हुई है.
दअरसल, वन विभाग के द्वारा लगभग 6 हेक्टेयर में असम के वनस्पतिशास्त्री के सुझाव पर शहर के लामिनी पार्क में 210 प्रजाति का बांस रोपण किया गया है. जिसका नाम बैंबू सेटम रखा गया है और अब इस प्लांटेशन के बांस काफी बड़े हो गए हैं. अलग अलग प्रजाति के बांस लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.
5 साल पहले हुआ था 6 हेक्टेयर में प्लांटेशन
जगदलपुर शहर से लगे लामिनी जैव विविधता पार्क के संचालक और जगदलपुर के फॉरेस्ट रेंजर देवेंद्र वर्मा ने बताया कि विभाग के जैव विविधता वाले पार्क में यहाँ घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए पहले ही एवियरी और कैक्टस गार्डन का निर्माण किया गया है. इन दोनों के अलावा करीब 6 हेक्टेयर में बांस के 210 प्रजाति लगाए गए हैं. रेंजर ने बताया कि इनमें से 16 प्रजाति बस्तर जिले के हैं ,जबकि अन्य प्रजाति असम के हैं. देश में असम के बाद केवल बस्तर में ही 210 प्रजाति के बांस का बेम्बू सेटम मौजूद है.
बेम्बू सेटम में 210 प्रजाति के बांस के पेड़ है
साल 2017 में वन विभाग के द्वारा असम के वनस्पति शास्त्री के सुझाव पर बस्तर में बांस का रोपण किया गया जिसका नाम बेम्बू सेटम रखा गया. अब करीब 5 सालों के बाद इस बेम्बू सेटम में 210 प्रजाति के बांस के पेड़ अपनी खूबसूरती बिखेरे हुए हैं. जिसे देखने बड़ी संख्या में पर्यटक भी आ रहे हैं.
वहीं, बस्तर की आबोहवा बांस के उत्पादन के लिए अनुकूल पाए जाने के चलते सिर्फ लामिनी पार्क में ही नहीं बल्कि जिले के अन्य जगहों पर भी बांस के प्लांटेशन के लिए वन विभाग के द्वारा जगह देखा जा रहा है.
सुंदरकोया बांस में गांठ कम होता है
रेंजर ने बताया कि इन बांस की प्रजाति में से सुंदरकोया बांस का उपयोग बस्तर में अलग-अलग तरह के बांस की वस्तु तैयार करने के लिए भी की जाती है. दरअसल सुंदरकोया बांस में गांठ कम होता है. जिससे बांस की कोई वस्तु बनाने में आसानी होती है. बस्तर की बांस कला भी पूरे देश में प्रसिद्ध है.
इस वजह से इस कला को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भी पार्क के अलावा जिले के अन्य फॉरेस्ट रेंज में भी बांस के पौधे रोपण के लिए प्लान किया जा रहा है, फिलहाल लामिनी पार्क के 6 हेक्टेयर में लगे बांस की 210 प्रजाति को देखने पर्यटक यहां बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं.
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