Bastar Farmer News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी किसानों की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही है. पहले ही खाद की कमी से पूरे जिले भर के किसान जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अब उर्वरक की भी कमी बनी गई है. जिस वजह से जिले में उर्वरक की जमकर कालाबाजारी हो रही है. किसान निजी दुकानों से दोगुनी कीमत पर उर्वरक खरीदने को मजबूर है और दुकानदार भी इसका फायदा उठाते हुए डेढ़ से दो गुना कीमत पर किसानों को खाद और उर्वरक बेच रहे हैं.
कृषि विभाग ने सहकारी समितियों में किसानों को खाद और उर्वरक जिस रेट पर मिल रहा है उसी रेट पर निजी दुकानदारों को भी बेचने का आदेश जारी किया है, लेकिन जिले के किसी भी दुकानों में इस आदेश का पालन होता दिखाई नही दे रहा है. जिसके चलते किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और जिले के गरीब किसान काफी परेशान हो चुके हैं.
कार्यवाई के अभाव में बढ़ा रहे खाद के दाम
किसानों ने बताया कि सहकारी समितियों के माध्यम से मिलने वाली खाद और उर्वरक उन्हें नहीं मिल रही है. सहकारी समितियों के बजाय निजी दुकानों में इन रसायनिक उर्वरक का अधिक भंडार किया गया है. जिसके चलते किसानों को मजबूरन निजी दुकानों से खाद और उर्वरक लेना पड़ रहा है और निजी दुकानदार भी उनके मजबूरी का जमकर फायदा उठा रहे हैं.
उर्वरक और खाद की कीमत डेढ़ से 2 गुना अधिक कर दी गई है, जिसका सीधा असर किसानों के जेब पर पड़ रहा है. किसानों की शिकायत मिलने के बाद कृषि विभाग ने एक आदेश भी जारी किया. विभाग ने सहकारी समितियो और जिले के निजी दुकानों में एक ही रेट में किसानों को उर्वरक और खाद मुहैया कराने के आदेश दिए लेकिन इस आदेश का कोई पालन नहीं किया जा रहा है.
हालांकि विभाग के अधिकारी किसानों से शिकायत मिलने पर कार्यवाई करने की बात कहते हैं. वहीं किसानों का कहना है कि समय पर काम निपटाने के चक्कर में वे शिकायत नहीं करते हैं. किसानों को यह भी चिंता सताती है कि आने वाले दिनों में भी खाद -बीज की जरूरत पड़ने पर इन्हीं निजी दुकानों पर ही निर्भर होना पड़ेगा. ऐसे में किसान सामने नहीं आना चाहते लेकिन कृषि विभाग से जरूर इसकी कालाबाजारी पर कार्यवाई की उम्मीद रखते हैं.
सहकारी समितियों में खाद बीज की लगातार बनी हुई है कमी
जिले में यूरिया, डीएपी पोटाश, की सहकारी समितियों में काफी कमी बनी हुई है और अब तो आलम यह है कि सहकारी समिति में खेती किसानी के लिए यह तीनों ही जरूरत सामान नहीं मिल रही है. वहीं जिले के निजी दुकानों में पहले से ही खाद, यूरिया और पोटाश का भंडारण कर रखा गया है और अब निजी दुकानदार जमकर इसकी कालाबाजारी भी कर रहे हैं. जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है.