Bastar News Today: छत्तीसगढ़ के बस्तर में ग्रामीणों को बांटे गए वन अधिकार पट्टे का जमकर दुरुपयोग हो रहा है, वोट के लिए वन भूमि बांटने के इस राजनीतिक खेल के चलते बस्तर में हजारों एकड़ जंगल खत्म हो गए है. बीते 30 सालों में 400 से ज्यादा बस्तियां वनांचल में बस चुकी हैं. अभी भी हरे-भरे विशाल पेड़ो की गडलिंग कर इन्हें सुखाकर जलाने और बेचने का खेल धड़ल्ले से जारी है. वन विभाग ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई  भी नहीं कर रहा है.


दरअसल बढ़ती जनसंख्या और ग्रामीणों की जरूरत को देखते हुए वनांचल के भूमिहीन बाशिंदों को खेती किसानी के लिए वन भूमि अधिकार प्रपत्र दिया जा रहा है. इसके लिए बकायदा वन विभाग, जिला पंचायत ,राजस्व विभाग की टीम बनाई गई है और प्रत्येक भूमिहीन को चार हेक्टेयर यानी की 10 एकड़ वन भूमि देने का प्रावधान है. 


नियम के अनुसार जिन ग्रामीणों को यह वन भूमि अधिकार प्रपत्र दिया गया है, उसमें इस बात का उल्लेख है कि ग्रामीण वन भूमि पर खेती करेंगे लेकिन वहां खड़े पेड़ों को नहीं काटेंगे, अगर वैसा करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस प्रावधान के चलते अब तक जगदलपुर वन क्षेत्र के अंतर्गत ही लगभग 32 हजार हेक्टेयर वन भूमि ग्रामीणों को दिया जा चुका है. मार्च 2019 तक जगदलपुर वन वृत में 28, 350 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा हो चुका था, समिति के अनुसंशा पर 16 हजार 754 लोगों को व्यक्तिगत और 694 सामूहिक वन अधिकार प्रपत्र दिया जा चुका है.


बीते 30 सालों से वनो पर हो रहा कब्जा 
इधर विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बीते तीन सालों में करीब 3000 हेक्टेयर वन भूमि पर और कब्जा कर लिया गया है. इन्हें भी वन अधिकार प्रपत्र देने की प्रक्रिया जारी है. जानकारों का कहना है कि वन भूमि कब्जाने का दौर पिछले 30 सालों से तेजी से बढ़ा है. जिन लोगों को पट्टा मिल चुका है उनके बालिग लड़के पिता से अलग रहने की बातें कर भूमि पर कब्जा कर खेती करने लगे हैं और अधिवक्ताओं के माध्यम से दावा पेश किए हुए हैं.


ऐसे ग्रामीणों से कहा जाता है कि जिस वन भूमि पर कब्जा चाहते हो वहां चूल्हा ,झोपड़ी के अवशेष ,राख, पुराने कपड़े आदि दिखाओ तभी तुम्हारा दावा पुख्ता होगा ,इस काम में कई सरपंच और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी सक्रिय हैं.


वन कर्मचारियों को ग्रामीण कर रहे विरोध
बस्तर के मुख्य वन संरक्षक आर सी दुग्गा का कहना है कि पिछले सरकार के शासन के नियमों के तहत ही भूमिहीन लोगों को पट्टा वितरण किया गया है. हालांकि लगातार विभाग में यह शिकायत मिल रही है कि वन अधिकार पट्टाधारी लगातार खड़े पेड़ों की कटाई कर रहे हैं, जिससे बस्तर में जंगलों को काफी नुकसान पहुंच रहा है.


खासकर वन भूमि क्षेत्र में पुराने पेड़ों की कटाई की जा रही है, हालांकि ऐसे लोगों पर वन अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए हैं, लेकिन कई बार वन विभाग के कर्मचारियों को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि सामूहिक वन अधिकार पट्टा देने पर उसमें दिक्कतें सामने नहीं आती है, लेकिन भूमिहीन बाशिंदों को वन अधिकार पट्टा वितरण के बाद उनके द्वारा सारे नियमों को ताक में रखकर वन अधिंनियमो का उल्लंघन किया जाता है. 


हालांकि पिछले सरकार के कार्यकाल में राजधानी रायपुर में हुई बैठक में खड़े पेड़ों को काटने वाले पर वन विभाग के द्वारा कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. और इन्हीं निर्देशों का पालन किया जा रहा है, लेकिन इस दौरान ग्रामीणों के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है. इधर खुद वन विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि पिछले सालों की तुलना में तेजी से बस्तर में घने जंगलों की वन अधिकार पट्टा के लिए तेजी से कटाई हो रही है.


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