Chhattisgarh Goncha Mahaparv: छत्तीसगढ़ के बस्तर में मनाए जाने वाले गोंचा महापर्व के 21 वें दिन भगवान जगन्नाथ स्वामी, बलभद्र और देवी सुभद्रा को 56 भोग लगाया गया, और भव्य आरती का आयोजन हुआ, इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में मौजूद रहे, दरअसल गोंचा महापर्व में 56 भोग रस्म का अलग ही महत्व है.


इस रस्म में भगवान जगन्नाथ बलभद्र और देवी सुभद्रा को उड़ीसा और बस्तर में तैयार किये जाने वाले 56 अलग-अलग पकवानों का भोग लगाया जाता है, जो आकर्षण का केंद्र होता है, इस रस्म को देखने केवल बस्तर से ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों और पड़ोसी राज्य उड़ीसा के भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में मौजूद होते हैं.


ओड़िसा और बस्तर के होते है खास मिठाइयां
बस्तर गोंचा पर्व समिति के अध्यक्ष विवेक पांडे ने बताया कि परंपरा अनुसार बस्तर में मनाए जाने वाले गोंचा महापर्व में सीरासार भवन में बने जनकपुरी में 21 वें दिन पूजा अर्चना के बाद जगत स्वामी को 56 भोग लगाया जाता है. उन्होंने बताया कि 56 भोग के अनुष्ठान में शामिल होने और प्रसाद ग्रहण करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. छप्पन भोग में खासकर दाल, चावल ,सब्जी  फल , चिल्ला, सिरा, पान, सिखरन, शूली, खीर के साथ ही अलग-अलग प्रकार के  मिठाईया भोग में चढ़ाएं जाते हैं, इसमें खास बात यह होती है कि केवल बस्तर ही नहीं बल्कि उड़ीसा के भी अलग-अलग तरह के मिठाई भगवान को भोग में चढ़ाया जाता है.


15 जुलाई  को मनाया जाएगा बड़ा गोंचा पर्व
मंदिर के प्रांगण को 56 भोग से सजाया जाता है और जिसके बाद महाआरती का आयोजन होता है, 56 भोग के रस्म में अलग-अलग तरह की मिठाइयां ही खास आकर्षण का केंद्र होती है. जिसके बाद प्रसाद के रूप में सभी श्रद्धालुओं को इसे बांटा जाता है, छप्पन भोग रस्म के बाद अब आने वाले 15 जुलाई  को बड़ा गोंचा पर्व मनाया जाएगा. इसमें एक बार फिर से तीनों भगवान के विग्रहों को विशालकाय रथ में रथारूढ़ कर  शहर में परिक्रमा निकाली जाएगी.


56 प्रकार के भोग होते हैं आकर्षण का केंद्र
360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खांबारी ने बताया कि बस्तर गोंचा महापर्व में रियासत कालीन परंपरानुसार भगवान जगन्नाथ को लगाए जाने वाले 56 भोग का बड़ा महत्व है, भगवान जगन्नाथ भगवान श्रीकृष्ण के अवतार माने जाते है. भगवान श्रीकृष्ण के गोवर्धन पर्वत धारण करने की लीला के साथ 56 भोग को जोड़कर देखा जाता है. भगवान जगन्नाथ स्वामी को 56 भोग का अर्पण में 56 प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं, जिसे छप्पन भोग कहा जाता है. भगवान जगन्नाथ को अर्पण किये जाने वाले 56 भोग में रसगुल्ले से शुरू होकर दही, चावल, पूरी, पापड़ आदि से होते हुए इलायची पर जाकर संपन्न होता है.


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