बस्तर की ऐतिहासिक गंगा मुंडा तालाब सिमटने के कगार पर, जलाशय के चारों ओर पसरी गंदगी
Jagdalpur News: छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में कई तालाब विलुप्त हो चुके हैं, जिनमें दलपत सागर और गंगामुंडा भी शामिल हैं. गंगामुंडा तालाब का पानी गंदा हो गया है. वहां अतिक्रमण हुआ है.
Jagdalpur Ganga Munda Pond Encroachment: छत्तीसगढ़ के जगदलपुर शहर को तालाबों का शहर कहा जाता है, लेकिन वर्तमान में आलम यह है कि इन तालाबों के संरक्षण के अभाव में अब कई तालाब विलुप्त हो गए हैं और जो तालाब बच गए हैं, उनकी हालत बत से बदतर हो गई है, छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े तालाब में शुमार दलपत सागर का करोड़ो रूपये खर्च कर जीर्णोद्धार तो किया गया, लेकिन इस तालाब से जलकुंभी हटा पाने में निगम सरकार फेल ही साबित हो रही है.
वहीं जगदलपुर शहर की दूसरी ऐतिहासिक और सबसे पुराने तालाब गंगामुंडा का हाल भी बेहाल हो गया है, आलम यह है कि गंगामुंडा तालाब गंदामुंडा तालाब में तब्दील गया है ,साथ ही यह तालाब अतिक्रमण की भेट चढ़ गया है, तालाब के चारों ओर धड़ल्ले से अतिक्रमण किया जा रहा है, यही नहीं इस तालाब को कूड़ादान बना दिया गया है, शहर से निकलने वाली गंदगी और कचरे को निगम के सफाई कर्मचारियों द्वारा गंगामुंडा तालाब के आसपास फेका जा रहा है.
लोगों में देखने को मिल रही है नाराजगी
साथ ही घरों के कचरे तालाब में डाल दिए जा रहे हैं, 175 एकड़ में फैला तालाब धीरे-धीरे सिमटती जा रहा है, लेकिन निगम प्रशासन इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए कोई प्रयास करता नजर नहीं आ रहा है, जिससे शहर के बुद्धिजीवी और गंगामुंडा तालाब बचाओ अभियान से जुड़े लोगों में निगम प्रशासन के खिलाफ काफी नाराजगी देखने को मिल रही है.
कभी पेयजल के लिए किया जाता था इस्तेमाल
इस ऐतिहासिक गंगामुंडा तालाब के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि कुछ साल पहले तक गंगामुंडा के लोग इसी तालाब का पानी पिया करते थे, यह तालाब साफ सुथरा और पूरे 175 एकड़ में फैला हुआ था, आसपास के लोगों के द्वारा इस तालाब के पानी को पेयजल के रूप में इस्तेमाल करने के साथ निस्तारी में भी उपयोग किया करते थे, लेकिन अब आलम यह है कि इस तालाब के अंदर इतनी गंदगी पसरी है कि तालाब के आसपास से गुजरना भी दुर्लभ हो गया है.
कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है
निगम प्रशासन ने इस तालाब को बदतर स्थिति में छोड़ दिया है, धीरे-धीरे अब तालाब सिमटते जा रहा है और तालाब का पानी भी सूखता जा रहा है ,यही नहीं आसपास के लोगों के द्वारा पूरी गंदगी इसी तालाब में डाल दी जा रही है, निगम प्रशासन के द्वारा सिर्फ छठ महापर्व के दिन ही इस तालाब की थोड़ी बहुत साफ सफाई की जाती है, और फिर साल भर इसी हालत में छोड़ दिया जाता है. इस वार्ड की पूर्व पार्षद अनिता यादव का कहना है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा भी इस तालाब के संरक्षण और सवंर्धन के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है, जिस वजह से गंगामुंडा तालाब का अस्तित्व खतरे में आ गया है.
तालाब के चारों ओर फेंकी जा रही शहर की गंदगी
वही गंगामुंडा तालाब बचाओ अभियान जुड़े सदस्य अजय पॉल, डी.आर पाराशर, अजय तिवारी ,सुब्बाराव , श्रीनिवास राव और ईश्वर का कहना है कि जगदलपुर शहर में दलपत सागर के बाद गंगामुंडा तालाब सबसे बड़ा तालाब और ऐतिहासिक तालाब है, लगभग 175 एकड़ में यह तालाब फैला हुआ है, लेकिन इसके चारों ओर पूरी तरह से गंदगी पसरी हुई है, यही नहीं जलकुंभी से यह तालाब पूरी तरह से ढप चुका है, इसके अलावा अब धीरे-धीरे तालाब अतिक्रमण का शिकार भी हो रहा है.
विलुप्त होने की स्थिति में आ जाएगा तालाब
तालाब के किनारे कब्जाधारियों के द्वारा धीरे-धीरे तालाब को ही अपने कब्जे में ले लिया जा रहा है, यही नहीं शहर की पूरी गंदगी तालाब के आसपास फेके जा रहे हैं, जिससे अब इस इलाके से गुजरना भी मुश्किल हो गया है, हालांकि आज से 3 साल पहले गंगामुंडा तालाब बचाओ मंच के सदस्य और निगम प्रशासन के द्वारा जरूर सफाई अभियान चलाकर कई हद तक तालाब को स्वच्छ किया गया था, लेकिन एक बार फिर से निगम प्रशासन की उदासीनता और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के अनदेखी के चलते तालाब का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है और इसे बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है.
गंगामुंडा तालाब बचाओ अभियान से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर जल्द ही इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए निगम प्रशासन द्वारा कदम नहीं उठाया जाता है तो गंगामुंडा तालाब भी विलुप्त होने की स्थिति में आ जाएगा.
अतिक्रमण की भेंट चढ़ रही ऐतिहासिक तालाब
इधर गंगामुंडा तालाब ही नहीं बल्कि इसके चारों ओर निगम प्रशासन के द्वारा बनाई गई कंक्रीट सड़क भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ गई है ,तालाब के आसपास रहने वाले लोगों के द्वारा धीरे-धीरे इस सड़क को भी अपने कब्जे में लिया जा रहा है, साथ ही गंगामुंडा तालाब में मिट्टी पाटकर अवैध निर्माण किया जा रहा है, जिसको लेकर निगम प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है, शहर के बुद्धिजीवियों के द्वारा लगातार नगर निगम के अधिकारियों को इस ओर ध्यान आकर्षित करने के बावजूद भी प्रशासन के अधिकारी आंख मूंदकर बैठे है.
आयुक्त ने निरीक्षण करने को कही राजस्व विभाग को
इधर इस मामले में निगम के आयुक्त हरेश मंडावी का कहना है कि तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए और इससे स्वच्छ बनाने के लिए निगम ने प्लान तैयार किया है जल्द ही इस पर काम किया जाएगा, वहीं लगातार अतिक्रमण को लेकर निगम आयुक्त का कहना है कि यह राजस्व का मामला है उन्हें भी शिकायत मिली है कि लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है, जिसके लिए राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ जल्द ही इस तालाब के आसपास निरीक्षण करने की बात आयुक्त ने कही है.
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