Bastar health workers strike: छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी रेगुलर स्वास्थ्य कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से संभाग के सबसे बड़े अस्पताल और महारानी अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. पहले से ही स्टाफ की कमी से जूझ रहे इन दोनों सरकारी अस्पताल में 400 से अधिक रेगुलर स्वास्थ्य कर्मचारी हैं. इनके हड़ताल पर चले जाने से मरीजों को सही समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है. इसके साथ ही किसी तरह की जांच भी अस्पतालों में नहीं हो पा रही है. दरअसल स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल शुरू कर दिया है. यह हड़ताल सरकार के खिलाफ कर्मचारियों के द्वारा किया जा रहा है.
400 कर्मचारी हड़ताल पर
बस्तर के रेगुलर स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला संयोजक अजय सिंह परिहार का कहना है कि भूपेश सरकार ने 17 फीसदी डीए 28 महीनों से रोक कर रखी है. इसी वजह से सभी कर्मचारी काम बंद कर आंदोलन कर रहे हैं. पिछली बार भी चरणबद्ध तरीके से कर्मचारियों के द्वारा आंदोलन किया गया था लेकिन सरकार ने कोई भी पहल उनके लिए नहीं की और न ही सरकार की ओर से कोई जवाब आया. कर्मचारियों का कहना है कि अन्य राज्यों की सरकार स्वास्थ्य कर्मचारियों की जायज मांग पूरी कर रही है लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ही यहां के कर्मचारियों के साथ बेईमानी कर रही है.
उनका कहना है कि आपातकालीन स्थिति को देखते हुए शहर के एकमात्र महारानी अस्पताल में कुछ कर्मचारियों को छोड़ दिया गया है. साथ ही DMFT फंड के कर्मचारियों के द्वारा अस्पतालों में सेवा दी जा रही है जो पर्याप्त साबित नहीं हो पा रही है. बस्तर संभाग के जिलों के अन्य सरकारी अस्पतालों में कामकाज पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है. कर्मचारियों का कहना है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो कर्मचारी उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे. रेगुलर कर्मचारियों और पदाधिकारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जाने की चेतावनी दी है.
हड़ताल से बढ़ी परेशानी
इधर इतनी बड़ी संख्या में रेगुलर स्वास्थ्य कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से दोनों अस्पतालों में मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अस्पताल अधीक्षक डॉ. संजय प्रसाद का कहना है कि DMFT फंड के जरिए भर्ती हुए स्वास्थ्य कर्मियों से सेवा ली जा रही है और उनके द्वारा सभी मरीजों को इलाज का लाभ मिले इसके लिए कोशिश की जा रही है. डॉक्टर ने कहा कि हालांकि रेगुलर स्वास्थ्य कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से परेशानी तो जरूर बढ़ी है लेकिन व्यवस्था दुरुस्त करने की पूरी कोशिश की जा रही है.
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