Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) में भी इन दिनों धान की कटाई जोर शोर से चल रही है. वहीं खेतों में धान कटाई करने के साथ ही ग्रामीण बस्तर में पाई जाने वाली बटेर पक्षी का शिकार भी कर रहे हैं. इस साल खेत जल्दी सूखने के कारण बड़ी संख्या में बटेर पक्षी बस्तर में दिखाई दे रहे हैं. खास बात यह है कि बस्तर में बड़ी संख्या में बटेर (Quail) पाए जाते हैं और खेतों में धान (Paddy) की फसल पकने के बाद जंगल में रहने वाले बटेर धान चुगने खेत पहुंचते हैं,  लेकिन जब खेतों में धान की कटाई होती है तो ग्रामीण बटेर का जाल के माध्यम से शिकार कर लेते हैं.


इन दिनों सुबह और शाम के समय ग्रामीण जाल लेकर खेतों में बटेर का शिकार करते नजर आ रहे हैं. हालांकि बटेर का शिकार करना प्रतिबंधित है. वन विभाग द्वारा करवाई भी की जाती है लेकिन ग्रामीण चंद पैसे के लालच में शिकार करना नहीं छोड़ते हैं. बताया जाता है कि बटेर पक्षी का मांस स्वादिष्ट होने के साथ-साथ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. इसलिए हाथों-हाथ बिक जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्र के हाट बाजारों में  न दिनों  ग्रामीण बटेर पक्षी लेकर पहुंच रहे हैं. एक बटेर को 100 से 150 रुपए में बेचा जाता है.


विलुप्त प्रजाति में शामिल है बटेर
दरअसल बटेर पक्षी विलुप्त प्रजाति में से एक है. खास बात यह है कि वन विभाग भी इन पक्षियों का शिकार रोक पाने में नाकामयाब साबित हो रहा है. पर्यावरणविद  हेमंत कश्यप बताते हैं कि बटेर बस्तर की खास पहचान है ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में इसका शिकार होता है और बस्तर में लगने वाले ग्रामीण क्षेत्र के हाट बाजारों में ग्रामीण इसे बेचने आते हैं. एक पक्षी की कीमत 100 से 150 रुपए की होती है, ठंड के मौसम में इस पक्षी का शिकार सबसे ज्यादा होता है.


नहीं थम रहा बटेर का शिकार 
 हेमंत कश्यप ने बताया कि बस्तर के सघन वनों से घिरा होने की वजह से अनेक प्रजाति के पशु-पक्षी यहां पर पाए जाते हैं. कांकेर वैली नेशनल पार्क में दूसरे देशों के पक्षी भी रहवास करने आते हैं. बटेर और पहाड़ी मैना बस्तर की खास पहचान है. बावजूद इसके बटेर का धड़ल्ले से शिकार हो रहा है और शिकार रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है.


ये भी पढ़ेंChhattisgarh Election 2023: वोटर आईडी भूल गए तो इन दस्तावेजों को दिखाकर कर सकते हैं मतदान, पढ़ें डिटेल