Bastar: दम तोड़ रही नल जल योजना, लापरवाही का नतीजा भुगत रहे इस जिले के गांव वाले, बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे
Chhattisgarh के बस्तर में लोगों को पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है. सबसे बुरा हाल जगदलपुर शहर से लगे मार्केल ग्राम पंचायत का है. आयरन युक्त पानी निकल रहा है.
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छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) जिले में शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को पेयजल की समस्या (Water Crisis) से जूझना पड़ रहा है. खासकर ग्रामीण अंचलों में पानी की समस्या को लेकर काफी बुरा हाल हैं. इन गांवो में सभी घरों तक पानी पहुंचाने की सरकार की नल जल योजना (Nal Jal Yojna) भी पूरी तरह से फेल साबित हो रही है. करोड़ों रुपए की लागत से शुरू की गई यह नल जल योजना देख रेख के अभाव और पंचायत की लापरवाही से पूरी तरह से बंद पड़ी है और लोगों को बूंद बूंद पानी के लिए जूझना पड़ रहा है.
सबसे बुरा हाल इस शहर का
वहीं ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. ऐसे में इस गर्मी के मौसम में पानी के लिए ग्रामीणों की समस्या और ज्यादा बढ़ गई है. बस्तर में सबसे बुरा हाल जगदलपुर (Jagdalpur) शहर से लगे मार्केल ग्राम पंचायत का है जहां लोगों को पानी की समस्या से लंबे समय से जूझना पड़ रहा है. यहां के ग्रामीणों ने बताया कि सरकार ने उनके ग्राम पंचायत में नल जल योजना की शुरुआत की थी लेकिन यह योजना अधिकारियों और पंचायत की लापरवाही से पिछले 3 साल से बंद पड़ी है, पंचायत और अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.
आयरन युक्त पानी निकल रहा
नल जल योजना बंद रहने के कारण गांव के लोगों को पेयजल के लिए काफी परेशानी हो रही है और भीषण गर्मी में ग्रामीण पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में पानी के लिए दूसरी और कोई व्यवस्था नहीं है, हालांकि कुछ साल पहले गांव के अलग-अलग पारा, मोहल्ला में एक दर्जन से ज्यादा हैंडपंप बनाए गए लेकिन इसमें भी चार से पांच हैंडपंप भू जल स्त्रोत नीचे चले जाने से इन हैंडपंपो से पानी निकलना बंद हो गया. वहीं बाकी बचे हैंडपंप से आयरनयुक्त पानी निकल रहा हैं. आयरन युक्त की अधिकता के कारण इन हैंडपंपो का पानी पीने योग्य नहीं है.
मवेशियों के लिए भी दिक्कत
खुद PHE विभाग द्वारा इन हैंडपंपो का रेड मार्क किया गया है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव के पुराने कुएं भी पाट दिए गए हैं. वहीं तालाबो में पानी का स्त्रोत सूख गया है इसके चलते मवेशियों के निस्तारण के लिए भी परेशानी उठानी पड़ रही है. गाय, बैल की प्यास बुझाने के लिए ग्रामीणों को 3 से 4 किलीमीटर दूर ले जाना उनकी मजबूरी बन गई है. ग्रामीणों ने कहा कि नल जल योजना शुरू होने से जरूर सैकड़ो ग्रामीणों को राहत मिलती. इधर पंचायत के प्रतिनिधि जल्द ही नल जल योजना शुरू कराने की बात कह रहे हैं.
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