Gandhi Jayanti 2022: छत्तीसगढ़ के नक्सल एरिया में है बापू की भस्म कलश, जानिए- क्यों है यह जगह इतनी खास
Bastar News: महात्मा गांधी कभी बस्तर तो नहीं आये लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनकी देह की निशानी यहां जरूर पहुंची और उनकी भस्म की स्थापना के बाद से ही बस्तर वासियों के लिए यह जगह बेहद खास है.
Chhattisgarh News: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की आज 152 वीं जयंती है. देशभर में उनकी जयंती मनाई जा रही है. बापू छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर (Bastar) में भी रमे हुए हैं क्योंकि पूरे प्रदेश में उनके देह की भस्म केवल जगदलपुर (Jagdalpur) शहर में पिछले 74 साल से मौजूद है. दरअसल 30 जनवरी 1948 को जब महात्मा गांधी की शहादत हुई तब उनके अंतिम संस्कार के बाद उनके देह की राख यानी भस्म देश में 2 ही जगहों के लिए भेजी गई. पहले उनकी भस्म मध्य प्रदेश के धार जिले के धर्मपुर पहुंची और यहां नर्मदा नदी के किनारे बापू के भस्म की स्थापना की गई.
बस्तरवासियों के लिए बेहद खास
इसके अलावा उनका भस्म कलश छत्तीसगढ़ के जगदलपुर शहर में मौजूद गोल बाजार में स्थापित है. अब इस जगह को गांधी चौराहा के नाम से जाना जाता है. यहां प्रशासन ने महात्मा गांधी की आदमकद की एक प्रतिमा भी स्थापित की है. हालांकि महात्मा गांधी कभी बस्तर तो नहीं आये लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनकी देह की निशानी यहां जरूर पहुंची और उनकी भस्म की स्थापना के बाद से ही बस्तर वासियों के लिए यह जगह बेहद खास है.
ठीक से डेवलप करने की मांग
पद्मश्री धर्मपाल सैनी ने बताया कि, महात्मा गांधी से जुड़ी इतनी अहम निशानी पूरे प्रदेश में कहीं पर भी नहीं हैं लेकिन दु:ख की बात है यह है कि इस स्थान को जितना महत्व मिलना चाहिए था वह पिछले 74 साल से नहीं मिल पाया है. इस स्थान का उतना प्रचार-प्रसार भी नहीं हो पाया है जितना होना चाहिए. केवल धर्मपाल सैनी ही नहीं बल्कि आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाले बस्तर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और उनके परिवार के लोग भी इस स्थान को बेहतर तरीके से डेवलप करने की मांग करते रहे हैं, ताकि बस्तर के अलावा यहां देशभर से पहुंचने वाले पर्यटक भी इस जगह पर आकर महात्मा गांधी को नमन कर सकें.
स्वतंत्रता सेनानी ने लाया भस्म कलश
बस्तर वासियों का कहना है कि इस जगह को छत्तीसगढ़ के राजघाट के रूप में विकसित किया जा सकता है. धर्मलाल सैनी ने बताया कि साल 1948 में महात्मा गांधी की शहादत के बाद बापू का एक भस्म कलश बस्तर के एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दिल्ली से जगदलपुर लाए थे. इस भस्म कलश को इंद्रावती नदी में विसर्जित नहीं किया गया था. पुष्पांजलि के बाद इस कलश को गोल बाजार में गड्ढा खोदकर कर ससम्मान दबा दिया गया था. उसी स्थान के ऊपर एक झंडा चौराहा तैयार किया गया है. हालांकि अब यहां पर महात्मा गांधी की 10 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित कर लोगों को इस ऐतिहासिक स्थल का महत्व बताने का प्रयास किया गया है.
राजघाट के रूप में विकसित करने की मांग
विडंबना है कि बस्तर की 90 फीसदी आबादी 2021 तक यह नहीं जानती थी कि उनके बस्तर में बापू की भस्म कलश स्थापित है. इसलिए जिला प्रशासन ने ऐतिहासिक स्थल को सुरक्षित करते हुए यहां महात्मा गांधी की 10 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की है. इस प्रतिमा का अनावरण 16 अक्टूबर 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया था लेकिन अब पद्मश्री धर्मपाल सैनी और बस्तरवासियों की मांग है कि इसे छत्तीसगढ़ के राजघाट के रूप में विकसित किया जाए ताकि देश-विदेश से बस्तर घूमने आने वाले पर्यटक इस ऐतिहासिक जगह के बारे में जान सकें और यहां पहुंच महात्मा गांधी के इस ऐतिहासिक स्थल में उन्हें नमन कर सकें.