Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का बस्तर (Bastar) अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. साथ ही दुर्लभ जीव जंतुओं और एक ही स्थान पर 200 प्रजातियों की पक्षियों वाला यहां कांगेर वैली नेशनल पार्क (Kanger Valley National Park) भी काफी फेमस है. यहां पर नैसर्गिक गुफाओं के साथ कांगेर धारा वॉटरफॉल और सबसे खास तितली पार्क पर्यटकों की पहली पसंद होती है. इस तितली पार्क में कई प्रजातियों की तितलियां पाई जाती है, जो केवल बस्तर के नेशनल पार्क में ही देखने को मिलती है. हालांकि इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए विभाग कोई खास पहल नहीं कर रहा है. लेकिन नेशनल पार्क में मौजूद यह तितली पार्क पूरे प्रदेश में काफी फेमस है...
पार्क में 80 से अधिक प्रजातियों की तितली
दरअसल 200 किलोमीटर के दायरे में फैले इस कांगेर वैली नेशनल पार्क में एक साथ कई प्राकृतिक चीजों को देखा जा सकता है. इस नेशनल पार्क में छत्तीसगढ़ का दूसरा बड़ा तितली पार्क है, जिसे तितली जोन कहा जाता है. रंग-बिरंगे और अनेक प्रजाति के तितलियां यहां पहुंचने वाले पर्यटकों का मन मोह लेती है. खास बात ये है कि 12 महीनों यहां अलग-अलग प्रजाति के रंग-बिरंगी तितलियों को देखा जा सकता है.कांगेर वैली नेशनल पार्क के डायरेक्टर गणवीर धम्मशील ने बताया कि तीरथगढ़ जाने वाले रास्ते से करीब 2 किलोमीटर की पगडंडी वाले रास्ते से निर्धारित चयन स्थान से तितली जोन तक पहुंचा जा सकता है. हालांकि विभाग को अभी इस जोन को और आकर्षक बनाने के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है.
पार्क में मिलेगी तितलियों की ये प्रजातियां
पार्क के डायरेक्टर ने बताया कि तितली जोन की स्थापना के बाद से करीब 80 प्रजातियों की पहचान पार्क प्रबंधन के द्वारा की गई है और समय-समय पर विभिन्न प्रजातियों के तितली भी यहां देखने को मिलती है, पार्क में आने वाले सैलानी इसे देख सके इसलिए एक विशेष जगह जहां तितलियां दिखाई देती है उसी स्थान को तितली जोन बनाया गया है. खासकर इस इलाके में ब्लू मोनमोन, ब्रांडेड पीकॉक, लाइन बटरफ्लाई, जेजीवेल राजा, कामन इवनिंग ब्राउन, ब्लू टाइगर, ब्लू पेनशील, पेटेंट लेडी, टाइगर तितली, कामन नवाब, जेट एग फ्लाई, सहित अन्य प्रजाति के तितलियां शामिल है.
पार्क में पाई गई हिमालयन वैगरेंट बटरफ्लाई
वहीं खास बात यह है कि यहां हिमालयन वैगरेंट बटरफ्लाई भी पाई गई है. इस तितली का यहां मिलना बेहद खास माना जाता है. क्योंकि इससे एक नए शोध का विषय उत्पन्न हो गया है. शोध पर पता चला है कि ये तितली हिमालयन वैली से ईस्टर्न घाट के रास्ते पहुंची है. हिमालयन वैली का उड़ीसा के ईस्टर्न घाट के जरिए बस्तर के जंगल से जुड़ाव हैं. हिमालयन वैगरेंट बटरफ्लाई मध्य भारत के 148 वीं तितली रिकॉर्ड की गई है, वहीं अकेले कांगेर नेशनल पार्क में दर्जन भर से ज्यादा तितलियां रिकॉर्ड की गई है. जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
सरंक्षण सवर्धन के लिए विभाग कर रहा प्रयास
कांगेर वैली नेशनल पार्क के डायरेक्टर ने बताया कि इस तितली पार्क को आकर्षित बनाने के साथ इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा है, आने वाले सालों में और आसानी से यहां तितलियों के अलग-अलग प्रजाति पर्यटक देख सकें. इसके लिए विभाग पूरी कोशिश में लगा हुआ है. साथ ही इनके संरक्षण के लिए भी अलग-अलग टीम काम कर रही है.
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