Bastar News: बस्तर के कोसा केंद्र में 3 साल से लगा है ताला, सरकार की उदासीनता से पारंपरिक व्यवसाय छोड़ने को मजबूर युवा
Chhattisgarh News: पिछले 3 सालों से कोसा केंद्र में ताला लगे होने की वजह से बस्तर के युवाओं को कोसा से कपड़े तैयार करने के प्रशिक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
Bastar Kosa Center: छत्तीसगढ़ के बस्तर में मिलने वाली कोसा पूरे देश में काफी प्रचलित है . यहां की कोसा से बनाए जाने वाले कपड़े देश विदेशों में मशहूर है, और इनकी काफी डिमांड भी है. पिछले 3 सालों से कोसा केंद्र में ताला लगे होने की वजह से बस्तर के युवाओं को कोसा से कपड़े तैयार करने के प्रशिक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिस वजह से अपने पारंपरिक व्यवसाय को बस्तर के युवा सरकार के उदासीनता के चलते छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
करोना केस कम होने के बाद भी नहीं खुला केंद्र
जगदलपुर शहर के कुम्हारपारा में स्थित कोसा केंद्र कोरोना के शुरू होने के बाद से अब तक बंद है और केंद्र में ताला लगा हुआ है. कोरोना का प्रकोप कम होने और स्थिति सामान्य होने के बावजूद भी कोसा केंद्र का ताला नहीं खुला है. दरअसल प्रशिक्षण के बाद युवाओं को स्वरोजगार स्थापित करने पर सब्सिडी दी जाती है और इससे पहले कई युवा अंत्याव्यवसायी प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण लेकर स्वराज स्थापित कर चुके हैं. पिछले 3 सालों से कोसा केंद्र बंद होने की वजह से युवाओं में इसको लेकर काफी निराशा है.
केंद्र को खोंलने के लिए लगातार किया जा रहा पत्राचार
कोसा केंद्र के प्रबंधक सीता श्रीवास का कहना है कि राज्य सरकार को इसके लिए पत्राचार किया गया है और कई बार केंद्र को दोबारा से खोलने की गुजारिश भी की गई है. हर बार आश्वासन मिलता है लेकिन अब तक इस केंद्र को खोला नहीं जा सका है . इस केंद्र में कोसा से कपड़े तैयार करने के साथ ही बस्तर के ग्रामीण और शहरी युवाओं को अंत्यावसायी प्रशिक्षण के तहत बकायदा ट्रेनिंग दी जाती है.
उन्हें खुद स्वरोजगार स्थापित करने के लिए विभाग की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है लेकिन केंद्र नहीं खुलने से युवा काफी उदास हैं. वहीं इस केंद्र के प्रबंधक होने के नाते इसे दोबारा खोले जाने के लिए लगातार पत्राचार भी राज्य सरकार को किया जा रहा है. फिलहाल अभी सरकार से इस कोसा केंद्र को खोले जाने के लिए कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है.
केंद्र के 3 सालों से नहीं खुलने से युवा कोसा से जुड़े व्यवसाय से पिछड़ते जा रहे हैं . युवाओं का कहना है कि कोसा उनके पारंपरिक व्यवसाय से जुड़ा हुआ है लेकिन अब सरकार की उदासीनता के चलते कई युवा दूसरे कामों की प्रशिक्षण लेने के लिए मजबूर हैं.