नक्सलियों के ट्रेनिंग सेंटर रहे इस गांव में पहली बार लोकसभा चुनाव, जानें मतदान का प्रतिशत
Lok Sabha Election: नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार की घोषणा पर ग्रामीण डर की वजह से वोटिंग करने नहीं जाते थे. नक्सलियों का ग्रामीणों के बीच बहुत खौफ था. अब बस्तर के चांदामेटा की तस्वीर बदल गई है.

Chhattishgarh Lok Sabha Election 2024: छत्तीसगढ़ के आखिरी छोर में बसा बस्तर का चांदामेटा गांव कभी नक्सलियों का ट्रेनिंग सेंटर हुआ करता था. चांदामेटा के ग्रामीणों ने लोकतंत्र के महापर्व में पहली बार हिस्सा लिया. साल भर पहले गांव में प्राथमिक शाला का निर्माण हुआ है. लोकसभा चुनाव के लिए प्राथमिक शाला में मतदान केंद्र बनाया गया.
पहली बार आजादी के 75 साल बाद ग्रामीणों ने गांव में बने मतदान केंद्र पर पहुंचकर मतों का प्रयोग किया. पहली बार गांव का मतदान प्रतिशत 67 फीसद रहा. हालांकि विधानसभा चुनाव में भी चांदामेटा के ग्रामीणों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव की अपेक्षा वोट का प्रतिशत बढ़ा है.
नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार का होता था पालन
दरभा ब्लॉक चांदामेटा गांव को नक्सली सबसे सुरक्षित ठिकाना मानते थे. गांव से लगे तुलसी डोंगरी के पहाड़ को नक्सलियों ने राजधानी बनाया था. पिछले कुछ वर्षों से इलाके में सुरक्षा बलों के मूवमेंट को देखते हुए और पुलिस कैम्प खुलने के बाद नक्सली बैकफुट पर आए. धीरे-धीरे इलाके को खाली कर दिया. नक्सलियों की दहशत के कारण ग्रामीणों ने कभी लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं किया. इससे पहले चुनाव के लिए चांदामेटा गांव से 10 किलोमीटर पहले कोलेंग में मतदान केंद्र बनाया गया था, लेकिन नक्सलियों की दहशत से चांदामेटा गांव के करीब 350 मतदाता कभी वोट देने नहीं गए. पिछले कुछ वर्षों में गांव की तस्वीर बदली और सड़क, बिजली पहुंचाने के बाद बीते साल पहली बार स्कूल की घंटी भी बजी. बच्चों ने प्राथमिक स्कूल खोला गया. विधानसभा के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव का उत्साह मतदाताओं में जबरदस्त देखा गया. मतदाताओं ने देश के सबसे बड़े चुनाव में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. चांदामेटा का वोटिंग प्रतिशत 67 फीसद रहा.
बस्तर के इस गांव में लोकसभा चुनाव का उत्साह
निर्वाचन अधिकारी और कलेक्टर विजय दयाराम.के ने बताया कि बस्तर जिले का चांदामेटा और कलेपाल गांव नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आता है. ग्रामीणों को 10 किलोमीटर पैदल चलकर कोलेंग के मतदान केंद्र में वोट डालने जाना पड़ता था. चांदामेटा गांव और आसपास के लोग कभी वोट डालने नहीं गए. नक्सलियों का ग्रामीणों के बीच बहुत खौफ था.
ग्रामीण नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार के फरमान का पालन करते थे. अब चांदामेटा की तस्वीर बदल गई है. लोकतंत्र के महापर्व में ग्रामीणी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. मतदान के दिन सुबह 6:00 से चांदामेटा के ग्रामीणों की लंबी कतार मतदान केंद्र पर देखने को मिली. दोपहर 1:00 तक 50 फीसद वोटिंग हुई. 3:00 बजे तक क्षेत्र के 67 फीसद मतदाताओं ने मतदान किया. निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि चांदामेटा में ग्रामीणों की मांग के मुताबिक विकास कार्य जरूर पूरे होंगे.
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