Pravir Chandra Bhanj Deo Death Anniversary: कौन थे महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव, जिन्हें भगवान की तरह पूजते हैं बस्तरवासी
बस्तर में आज महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की 56वीं पुण्यतिथि मनाई गई. बस्तरवासी आज भी बस्तर रियासत काल के अंतिम महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव को भगवान की तरह मानते हैं और पूजा करते हैं.
बस्तर में महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव (Pravir Chandra Bhanj Deo) की पुण्यतिथि 25 मार्च को हर साल बलिदान दिवस के तौर पर मनाई जाती है. बलिदान दिवस पर बस्तर रियासतकाल के महाराजा की प्रतिमा पर फूल माला चढ़ाया जाता है. श्रद्धांजलि कार्यक्रम में बस्तर राजपरिवार के सदस्यों समेत आदिवासियों की बड़ी संख्या मौजूद रहती है. बस्तरवासी अब भी बस्तर रियासत काल के अंतिम महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव को भगवान की तरह मानते हैं और पूजा करते हैं. आज महाराजा की 56वीं पुण्यतिथि के मौके पर बड़ी संख्या में लोगों ने श्रद्धांजलि दी. अंतिम महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव आदिवासियों के सबसे बड़े हितैषी माने जाते हैं.
महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की 56वीं पुण्यतिथि
बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ने बताया कि 25 मार्च, साल 1966 को बस्तर के इतिहास में काला दिवस दर्ज किया गया है. आज के दिन बस्तर राजमहल में हुई गोलीकांड ने जलियांवाला बाग हत्याकांड को भी पीछे धकेल दिया था. आदिवासियों के भगवान माने जानेवाले महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की पुलिसकर्मियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. सैकड़ों आदिवासी पुलिसकर्मियों से महाराजा को बचाने के लिए तीर धनुष, भाला लेकर जुटे थे और लड़ते लड़ते जान दे दी. आदिवासियों की जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए बस्तर महाराजा ने तत्कालीन सरकार की हर जनविरोधी नीतियों का डटकर सामना किया. महाराजा प्रवीर चंद्र तत्कालीन सत्ताधीशों और राजनेताओं की नीतियों के घोर विरोधी थे. सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का उन्होंने जमकर विरोध किया. उन्होंने मालिक मकबूजा की आड़ में आदिवासी शोषण का भी खुलकर मुकाबला किया.
आज भी भगवान मानकर पूजते हैं बस्तरवासी
बस्तर राजपरिवार के जानकार कुमार जयदेव ने बताया कि बस्तर में आदिवासी समाज महाराज प्रवीर चंद्र भंजदेव को आज भी पूजता. प्रवीर चंद्र भंजदेव का सन 1936 में माता महारानी प्रफुल्ल कुमार देवी की मौत के बाद बस्तर रियासत की राजगद्दी के लिए लंदन में राजतिलक हुआ था. बस्तर रियासत के सबसे लोकप्रिय राजा को आदिवासी समाज आज भी याद करता है. आदिवासी हितों के लिए समर्पित प्रवीर चंद्र भंजदेव को दानवीर कहा जाता है. उन्होंने बस्तर रियासत और आदिवासियों के उत्थान का काम किया. उनके काम ने आदिवासियों के बीच मसीहा बना दिया. 25 मार्च, 1966 को राजमहल गोलीकांड में उनके बलिदान को आज भी आदिवासी समाज याद करता है.