Cook Union Strike: रसोईया कर्मचारी संघ पिछले सप्ताह भर से अपने 3 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर है. बस्तर (Bastar) संभाग के भी करीब 15 हजार से ज्यादा रसोईया संघ (cook union) के कर्मचारी हड़ताल पर डटे हुए हैं. एक साथ सभी कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील के तहत दी जाने वाली मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था पूरी तरह से गड़बड़ा गई. संभाग के कई अंदरूनी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में बच्चों को मध्यान्ह भोजन नहीं मिल पा रहा है.


कई जगहों पर महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से और खुद शिक्षक मध्यान्ह भोजन पका रहे हैं लेकिन बच्चों को भरपेट भोजन नहीं मिल रहा है और ना ही गुणवत्ता युक्त भोजन परोसा जा रहा है. खुद जगदलपुर शहर के ही कई प्राथमिक और मिडिल स्कूलों के भोजन में कीड़े निकल रहे हैं तो कहीं अधपका भोजन बच्चों को खिलाया जा रहा है.


3 सूत्रीय मांगों को लेकर डटे है हड़ताल में


सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन पकाने की जिम्मेदारी रसोईया संघ की है. उनका कहना है कि साल 2009 से अब तक उन्हें मानदेय के रूप में केवल 1500 रुपए दिया जा रहा है. इसमें केंद्र सरकार के द्वारा हजार रुपए और 500 रुपये छत्तीसगढ़ सरकार दे रही है. 1500 रुपए के मानदेय में उनके परिवार का पालन पोषण नहीं हो पा रहा है. इससे पहले भी कई बार मानदेय बढ़ाने की मांग की गई. इसके बावजूद सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. इसके अलावा सालों से उन्हें रेगुलर करने का वादा किया जा रहा है लेकिन अब तक ना बीजेपी सरकार और ना वर्तमान की कांग्रेस सरकार ने उनका नियमितीकरण किया.


ऐसे में वे जब तक मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक आंदोलन पर डटे रहने का मन बना लिया है. रसोईया संघ के कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से सबसे ज्यादा इसका नुकसान स्कूली बच्चों का हो रहा है. मिड डे मील के तहत बच्चों को सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन अनिवार्य है. जब से रसोईया संघ के कर्मचारी हड़ताल पर हैं, तब से मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई. 


बच्चों को नहीं मिल पा रहा भरपेट भोजन


हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर प्रशासन जरूर महिला स्व सहायता समूह को अलग-अलग स्कूलों में खाना पकाने की जिम्मेदारी सौंपी है, लेकिन इस समूह के द्वारा कई स्कूलों में अधपका भोजन बनाया जा रहा है. कई स्कूलों में तो दोबारा बच्चों को भोजन नहीं मिल पा रहा है और बच्चों के भोजन मांगने पर उन्हें डांट दिया जा रहा है. कई जगहों पर खाने में कीड़े निकल रहे हैं, जिससे बच्चे परेशान हो गए हैं.


शिक्षकों का कहना है कि उनके द्वारा कोशिश की जा रही है कि बच्चों को सही और भरपेट भोजन मिले लेकिन वह भी मानते हैं कि कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से जरूर व्यवस्था चरमरा गई. कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से खासकर बस्तर संभाग के बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बस्तर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी असर पड़ा है. कुछ जगहों पर तो मध्यान्ह भोजन ही बच्चों को नहीं मिल पा रहा है.


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