इंसानों की बोली की हूबहू नकल करने वाली और छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना के संरक्षण और संवर्धन के लिए छत्तीसगढ़ के बस्तर में कांगेर राष्ट्रीय उद्यान के द्वारा की जारी पहल रंग लाती दिखाई दे रही है, दरअसल बस्तर हिल मैना संरक्षण परियोजना के शुरू हुए एक साल बाद एक बार फिर से कांगेर वैली नेशनल पार्क के घने जंगलों में हिल मैना देखे जा रहे हैं. पार्क के अंदर लगभग 20 से 25 स्थानीय आदिवासी युवाओं को रोजगार देते हुए पहाड़ी मैना को ट्रैक कर उनके घोंसले की रक्षा करने के लिए इन युवाओं की टीम को शामिल किया गया है.


युवाओं द्वारा पक्षियों की निगरानी के लिए दूरबीन और ट्रैप कैमरे दिए गए हैं, जिसकी मदद से पहाड़ी मैना को ट्रेस करने में काफी मदद मिल रही है और इसी के साथ ही  विलुप्त होती हिल मैना की चहचाहट एक बार फिर से पार्क में सुनाई देने लगी है.


 2002 में मिला राजकीय पक्षी का दर्जा


दरअसल छत्तीसगढ़ के कांगेर वैली नेशनल पार्क को बस्तर हिल मैना का प्राकृतिक आवास माना जाता है. छत्तीसगढ़ प्रशासन ने साल 2002 में इस हिल मैना को राजकीय पक्षी का दर्जा दिया था, लेकिन पिछले कुछ सालों से इसकी संख्या घटती जा रही थी जो राज्य सरकार के साथ साथ वन विभाग के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ था, कांगेर राष्ट्रीय उद्यान के संचालक गणवीर धम्मशील ने बताया कि छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी हिल मैना कांगेर वैली पार्क में बहुतायात में है,लेकिन इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास नहीं किए जाने के चलते इंसानो की  बोली की हूबहू नकल करने वाली ये सुंदर पक्षी विलुप्त होते जा रही थी,साथ ही शिकारियों के द्वारा इसका शिकार किया जा रहा था.


संचालक ने बताया कि 2 साल की परियोजना के पहले घोंसले के शिकार स्थलों का सर्वेक्षण शुरू किया गया था और अब तक 40 से अधिक घोसलों की गिनती की गई है और विभाग और आदिवासी युवा जिन्हें मैना मित्र कहा जाता है,उनके द्वारा लगातार घोंसलों  की तलाश की जा रही हैं, उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत स्थानीय आदिवासी युवा मैना मित्रों को घोसलें की सुरक्षा और 12 महीने तक नियमित रूप से घोसलों की निगरानी के लिए लगाया गया है, और नतीजन काफी अच्छे परिणाम मिले हैं और यह भी संकेत मिले हैं कि हिल मैना की संख्या अब इस पार्क में तेजी से बढ़ रही है.


बढ़ रही विलुप्त होती मैना पक्षी की संख्या 


मैना मित्र आदिवासी युवाओं ने बताया कि उनके द्वारा पिछले 1 साल से नेशनल पार्क के भीतर पहाड़ी मैना के घोसलों को ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है और इसके लिए विभाग ने उन्हें दूरबीन के साथ ही ट्रैप कैमरे और अन्य संसाधन भी दिए हैं, हालांकि वर्तमान में पहाड़ी मैना की संख्या कितनी है यह बता पाना मुश्किल है,  लेकिन पिछले सालों की तुलना में मैना की संख्या काफी बढ़ी है, और अब पार्क के अंदर बड़े बड़े पेड़ों में एक साथ 4 से 5 पहाड़ी मैना आसानी से देखे जा सकते हैं.
 वहीं विभाग के द्वारा स्थानीय आदिवासी युवाओं को रोजगार देने के साथ राजकीय पक्षी के संरक्षण और संवर्धन के लिए किए जा रहे इस प्रयास का पर्यावरणविद भी काफी तारीफ कर रहे हैं, हालांकि उनका भी कहना है कि विभाग के इस प्रयास का अच्छा नतीजा मिलना चाहिए और एक बार फिर कांगेर वैली  नेशनल पार्क में मैना की चहचहाट से पार्क गूंजना चाहिए.


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