नक्सलगढ़ के इन गांवों तक पहुंचेगा विकास, 11 KM लंबी सड़क 3 साल में बनकर तैयार
Bastar News: अंदरूनी इलाकों में सड़कों का जाल बिछाने की पूरी तैयारी लोक निर्माण विभाग ने शुरू कर दी है. अब सुदूर गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ा जाएगा.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग पिछले 4 दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. आजादी के 77 साल बाद भी ग्रामीणों तक मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं. स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क, बिजली, स्कूल और सरकार की योजनाओं से ग्रामीण वंचित हैं.
अब अंदरूनी इलाकों में सड़कों का जाल बिछाने की पूरी तैयारी लोक निर्माण विभाग ने शुरू कर दी है. नक्सलियों की मजबूत पैठ के कारण प्रशासनिक अधिकारी अंदरूनी इलाकों तक विकास कार्य पहुंचाने का साहस नहीं कर पाते हैं.
बस्तर के जगरगुंडा, अरनपुर, बैदरें, सिलगेर, चिंतलनार, ताड़मेटला और तररेम गांव में दिन को भी जाने से डर लगता है. पिछले 20 वर्षों से नक्सलियों के लिए ये इलाके सबसे सुरक्षित ठिकाना माने जाते हैं. सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा जिलों की सीमा पर बसे ये गांव नक्सलियों की अघोषित राजधानी का हिस्सा रहे हैं.
हालांकि बस्तर में नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों की मौजूदगी से नक्सली बैकफुट पर आए हैं. सीमावर्ती इलाके में 10 से ज्यादा सीआरपीएफ कैंप खोले गए हैं.
नक्सलगढ़ में पहुंचेगा विकास
कैंप खुलने के साथ गांवों तक सड़कों का जाल बिछाने की कोशिश में प्रशासन जुट गया है. जगरगुंडा को तीन जिलो से जोड़ने के लिए सड़क का निर्माण कार्य किया जा रहा है. दंतेवाड़ा एसपी गौरव राय ने बताया कि जगरगुंडा को 5.8 मीटर और 7.7 मीटर चौड़ी सड़क से सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा को जोड़ा जा रहा है.
जगरगुंडा को दोरनापाल के रास्ते सुकमा से जोड़ने वाली दूसरी सड़क पर 12 किलोमीटर का काम अभी बाकी है. सिलगेर आवापल्ली होते बीजापुर आने वाली 7.5 मीटर चौड़ी सड़क लगभग तैयार है. तररेम जगरगुंडा के 20 किलोमीटर हिस्से में 20 से 22 पुलियों का निर्माण चल रहा है.
सड़क निर्माण का काम शुरू
एसपी का कहना है कि जगरगुंडा तीनों जिलों के सरहद पर मौजूद है. जागरगुंडा को तीनों जिलों से जोड़ने के लिए सड़क निर्माण का कार्य जवानों की पहरेदारी में जारी है. लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता बीके साहू का कहना है कि पहले भी कई बार जगरगुंडा तक सड़क बनाने की कोशिश की गई.
लेकिन नक्सलियों ने सड़क को नुकसान पहुंचाया. नक्सली बंद के दौरान सड़क पर गड्ढे खोद दिए गये. वाहनों को जलाने की घटना से ठेकेदार सड़क निर्माण का काम छोड़कर भाग गया.
इलाकों में 10 से ज्यादा सीआरपीएफ कैंप खोले गये हैं. जवानों की मौजूदगी सड़क निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा देने में काफी मददगार बनी. अब सड़क निर्माण के प्लान में बदलाव किया गया है. काम को चार हिस्से में बांटा गया है. 2 साल पालनार से अरनपुर तक 14 किलोमीटर लंबी कंक्रीट की सड़क बनने में लगे. अरनपुर से नाला पोस्ट तक 11 किलोमीटर की सड़क को बनाने में 3 साल लग गए. अधिकारी ने बताया कि बस्तर संभाग के अंदरूनी इलाकों में 250 से ज्यादा नयी सड़कें प्रस्तावित हैं. आधा से ज्यादा सड़कों का काम शुरू कर दिया गया है. 100 से ज्यादा पुल पुलियों का निर्माण भी किया जाना है. जवानों के सुरक्षा में अधूरे पड़े सड़कों का काम पूरा करने की कवायद शुरू कर दी गई है.
बस्तरवासियों को मानसून के लिए करना पड़ सकता है थोड़ा और इंतजार, गर्मी और उमस से परेशान