Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में माओवादियों के खिलाफ साल 2024 की तरह ही 2025 में भी नक्सल विरोधी अभियान के तहत सुरक्षा बलों को लगातार सफलता मिल रही है. पिछले 80 दिनों में जवानों ने बस्तर संभाग के अलग-अलग इलाकों में हुई मुठभेड़ में 97 नक्सलियों को मार गिराया है. जिनमें माओवादी संगठन के डिवीजनल कमेटी मेम्बर (DVCM) से लेकर पीपीसीएम, एसीएम जैसे लाखों रुपए के इनामी नक्सली कैडर शामिल है.
नक्सलवाद का दंश झेल रहे बस्तर में बीते चार दशक में साल 2024 और 2025 में नक्सलियों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा. सुरक्षा बल के जवानों ने पिछले 2 सालों में कई नक्सलियों को मार गिराया. साथ ही उनके हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियों को भी जवानों ने ध्वस्त किया है. बताया जा रहा है कि जवानों को मिल रही इस सफलता के पीछे सबसे अहम भूमिका सरेंडर नक्सलियों की है.
नक्सलियों तक कैसे पहुंच रहे सुरक्षा बल के जवान?
पिछले दो सालों में जिन बड़े नक्सलियों ने बस्तर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है, उनसे माओवादियों के ठिकानों की पुख्ता जानकारी मिल रही है, यही वजह है कि जवान ऐसे इलाकों में धावा बोल रहे हैं जहां नक्सली जवानों की मौजूदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते. इन सरेंडर नक्सलियों के साथ-साथ बस्तर पुलिस के पास मौजूद हाईटेक ड्रोन भी अहम भूमिका निभा रही है, जिससे जीआर लोकेशन से जवान नक्सलियों के ठिकाने तक पहुंच रहे हैं और उन्हें मुठभेड़ में मार गिरा रहे हैं.
टारगेट पूरा करने के लिए जवान लगातार चला रहे ऑपरेशन
दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने साल 2026 मार्च महीने तक बस्तर को नक्सल मुक्त करने का टारगेट रखा है, इसके बाद से बस्तर में नक्सल मोर्चे पर तैनात सुरक्षा बल और तमाम पुलिस अधिकारी इसी टारगेट को पूरा करने के लिए लगातार बस्तर संभाग के अलग-अलग नक्सल प्रभावित इलाकों में ऑपरेशन चला रहे हैं. अमूमन देखा गया है कि फरवरी से मई महीने तक माओवादी संगठन TCOC (टैक्टिकल कांउटर ऑफेंसिव कैम्पेन) अभियान चलाते हैं और इस अभियान में नक्सली जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए रणनीति बनाकर उन पर अटैक करते हैं.
लेकिन अब इसके विपरीत नक्सल मोर्चे पर तैनात जवान नक्सलियों के ठिकाने पर अटैक कर रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि बस्तर पुलिस में लोकल युवाओं की भर्ती के बाद और खासकर सरेंडर नक्सलियों की भर्ती से माओवादी संगठन की नींव हिल गई है, जिन इलाकों को नक्सली अपना सबसे सुरक्षा ठिकाना मानते हैं उन इलाकों में भी जवानों के पहुंचने से नक्सली भी पूरी तरह से बौखलाए हुए हैं, इस वजह से टुकड़ियों में बंट गए हैं.
वहीं नक्सलियों के ठिकानों की पुख्ता जानकारी मिलने के बाद DRG, बस्तर फाइटर और सीआरपीएफ, STF और कोबरा के जवान संयुक्त रूप से करीब 1500 की संख्या में ऑपरेशन लॉन्च कर नक्सलियों को आमने सामने की लड़ाई में मार गिरा रहे हैं.
नक्सल ऑपरेशन में सरेंडर नक्सलियो से मिल रही मदद
बस्तर के आईजी सुंदरराज पी का भी कहना है कि पुलिस के बढ़ते दबाव की वजह से अब स्थानीय नक्सली लगातार माओवादी संगठन छोड़कर मुख्य धारा में लौट रहे हैं. इन्हें बकायदा पुनर्वास नीति का लाभ भी दिया जा रहा है. वहीं बड़ी संख्या में सरेंडर नक्सलियों ने पुलिस में भी भर्ती ली है. इन सरेंडर नक्सलियों का कहना है कि बाहरी नक्सली स्थानीय नक्सलियों का शोषण करते आ रहे हैं. उन्हें प्रताड़ित करते हैं.
नक्सलियों के अस्थाई कैंप किए जा रहे ध्वस्त
आईजी ने बताया, ''इन सरेंडर नक्सलियों की मदद से एंटी नक्सल ऑपरेशन में कई अहम जानकारी भी हाथ लग रही है. अलग-अलग मौसम में नक्सली जिन इलाकों को अपना ठिकाना बनाते हैं, इसकी पुलिस को पुख्ता जानकारी भी मिल रही है. यही वजह है कि इन इलाकों में पहली बार जवान पहुंचकर उन पर धावा बोल रहे हैं और उनके अस्थाई कैंप को ध्वस्त करने के साथ उनके हथियारों की फैक्ट्री को भी तबाह कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बस्तर संभाग के अधिकांश इलाकों को जवानों ने कवर कर लिया है और बकायदा यहां पुलिस कैंप भी खोले जा रहे हैं.''
सुरक्षाबलों की तरफ से जीरो कैजुअल्टी पर काम करने की रणनीति
आसपास के गांवो का विकास भी किया जा रहा है, जिस वजह से ग्रामीणों का पुलिस के प्रति मनोबल भी बढ़ा है, और वह भी अपने गांव में विकास चाहते हैं, ऐसे में इन इलाकों में जवानों को पहुंचने में आसानी हो रही है. हालांकि मुठभेड़ में जवानों को भी नुकसान पहुंच रहा है. ऐसे में आने वाले समय में लॉन्च किए जाने वाले ऑपरेशन में रणनीति बदलते हुए सुरक्षाबलों की तरफ से जीरो कैजुअल्टी पर काम करने की बात बस्तर के आईजी ने कही है.
गौरतलब है कि नारायणपुर के थूलथूली सुकमा के भंडारपदर बीजापुर के अंड्री, कांकेर के छोटेबेठिया जैसे इलाकों में सरेंडर नक्सलियों की सूचना की वजह से जवानों ने सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया है.