Chhattisgarh Naxal News: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में नक्सली तरह-तरह के हथियार व विसफोटक इस्तेमाल करते हैं, खासकर आईडी इन नक्सलियों का सबसे घातक हथियार होता है, आईटी क्लास से नक्सलियों ने एक तरफ जहां सैंकड़ों जवानों की जान ले ली है, वहीं दूसरी तरफ इस आईडी से कई निर्दोष ग्रामीण भी मारे गए हैं.


वहीं पिछले कुछ सालों से लगातार एंटी नक्सल ऑपरेशन में जा रहे जवानों और बीडीएस की टीम द्वारा नक्सलियों द्वारा प्लांट इन बम को खोज निकालने में लगातार सफलता हासिल कर रही है. अब नक्सली, जवानों को नुकसान पहुंचाने वायरलेस विस्फोटक बना रहे हैं, दरअसल इसका खुलासा दंतेवाड़ा बीजापुर के सीमावर्ती इलाके में बीते 24 मई को हुए पुलिस -नक्सली में जवानों के द्वारा 8 नक्सलियों को मार गिराने के बाद सर्च अभियान के दौरान नक्सलियों के अस्थाई कैंप में डंप सामान में से जवानों ने वायरलेस विस्फोटक भी बरामद किया. 


तकनीक पर काम कर रहे हैं नक्सली
इसके अलावा जवानों द्वारा नक्सलियों के जब्त सामानों में मोटरसाइकिल में प्रयुक्त होने वाले अलार्म की वायरलेस तकनीक से आईईडी विस्फोट का उल्लेख है,सुरक्षा बल को यह भी जानकारी मिली है कि कैमरो में प्रयुक्त होने वाली फ़्लैश लाइट की मदद से भी विस्फोट  की तकनीक पर नक्सली काम कर रहे हैं.


एसपी ने कहा -नई तकनीक से निपटने के लिए जवान तैयार
दंतेवाड़ा जिले के एसपी गौरव राय ने जानकारी देते हुए बताया कि नक्सली अब जवानों को निशाना बनाने के लिए इंप्रोवाइज एक्सक्लूसिव डिवाइस (आईईडी) सुरंग विस्फोट की वायरलेस तकनीक पर काम कर रहे हैं, अबूझमाड़ के रेकावाया के जंगल में दो दिन पहले जवानों के द्वारा ध्वस्त किए गए नक्सलियों के प्रशिक्षण कैंप से मिले दस्तावेज में इसके प्रमाण मिले हैं, पहले नक्सली जमीन के नीचे दबे तार को बैटरी से जोड़कर विस्फोट करते थे,पिछले कुछ सालों से सुरक्षा बल विस्फोटक डिटेक्टर और प्रशिक्षित डॉग स्क्वायड का उपयोग कर जमीन के नीचे दबे तार के माध्यम से आईईडी विस्फोट का पता लगा लेते हैं.


विस्फोटक के लिए किया जाता है फ्लैशलाइट का उपयोग 
इस कारण पिछले कुछ सालो में नक्सली कोई बड़ा नुकसान आईईडी ब्लास्ट के माध्यम से नहीं पहुंच पा रहे हैं, इसे देखते हुए वायरलेस तकनीक पर काम कर रहे हैं, इसके अलावा नक्सली दस्तावेज में संगठन में काम करने वाले विभिन्न कैडर के नक्सलियों के कर्तव्य ,युद्ध कौशल ,हथियारों के उपयोग के बारे में भी जानकारी दी है.


एसपी ने बताया कि इस वायरलेस विस्फोट तकनीकी में मोटरसाइकिल के अलार्म, सेंसर और कैमरे के फ्लैशलाइट का उपयोग कमांड आईईडी से बड़े विस्फोटक के लिए किया जाता है, कैमरे के फ्लैशलाइट और अलार्म सेंसर में लगभग 230 वोल्ट का विद्युत उत्पन्न होता है जो की आईईडी के विस्फोट होने के लिए पर्याप्त है.


1225 आईईडी किए हैं जब्त
हालांकि नक्सलियों के इस नए रणनीति  का खुलासा होने के बाद जवान एंटी नक्सल ऑपरेशन के दौरान और सतर्कता से गश्त  करेंगे,सुरक्षा बल अब पहले से अधिक सशक्त और तकनीकी से लैस हो गई है, और नक्सलियों के प्रत्येक रणनीति का जवाब देने में पूरी तरह से सक्षम है. एसपी ने बताया कि पिछले 5 सालों में बस्तर संभाग की पुलिस फोर्स ने 1225 आईईडी जब्त किए हैं और इन्हें सफलतापूर्वक डिफ्यूज किया गया है.


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