Chhattisgarh News: नए सत्र से बस्तर के शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय (Shaheed Mahendra Karma Vishwavidyalaya) में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. बस्तर समेत दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़ और सरगुजा विश्वविद्यालय के कुलपतियों की समिति ने अपनी अपनी रिपोर्ट उच्च शिक्षा विभाग को सौंप दी है. आचार संहिता हटने के बाद नई शिक्षा नीति लागू करने की घोषणा की जाएगी. नई शिक्षा नीति मध्य प्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्यों में लागू की जा चुकी है.


बीते 4 सालों में अपेक्षित नतीजे अब तक सामने नहीं आए हैं. उच्च शिक्षा में बड़े बदलाव से क्षमताओं के विकास का दावा विश्वविद्यालय प्रबंधन कर रहा है. स्वर्गीय महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के कुलपति मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य बिना किसी भेदभाव के सभी छात्रों को विकास का एक समान अवसर प्रदान करना है. छात्रों में ज्ञान, कौशल, बुद्धि और आत्मविश्वास का सृजन कर दृष्टिकोण का विकास किया जायेगा.


महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति


छात्रों के लिए फ्लैक्सिबिलिटी इंटर्नशिप और स्किल एबिलिटी को बढ़ाने पर जोर दिया गया है. नये शैक्षणिक सत्र से 6 सेमेस्टर में 4 वर्षीय ग्रेजुएशन डिग्री प्रोग्राम पूरा होगा. कुलपति ने बताया कि सोमवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर कार्यशाला का भी आयोजन किया गया. कार्यशाला में नई शिक्षा नीति को लागू करने पर फैसला लिया गया. उन्होंने आगे बताया कि नई शिक्षा नीति शुरू करने के लिए राज्य में संचालित 8 शासकीय ऑटोनॉमस महाविद्यालय को चुना गया था.





चार साल का होगा ग्रेजुएशन डिग्री प्रोग्राम 


अलग से नियम बनाने के बाद पढ़ाई शुरू की गई. अब संचालित पाठ्यक्रम को आंशिक संशोधन के बाद सभी महाविद्यालयों में लागू किया जा रहा है. हालांकि जरूरी संसाधन और सुविधाओं के बिना उच्च शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन करना मुश्किल है. विशेषकर छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में जहां पहले ही कई कॉलेज केवल दो प्राध्यापकों के भरोसे चल रहे हैं, ऐसे में नई शिक्षा नीति लागू हो जाने से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में कितना सुधार आएगा, अभी कह पाना मुश्किल है.


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