Bastar Dussehra: छत्तीसगढ़ के बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाले दशहरा पर्व की शनिवार को अंतिम रस्म पूरी की गयी. मावली देवी की डोली विदाई के साथ बस्तर दशहरा पर्व का समापन हो गया. जगदलपुर के गीदम रोड स्थित जिया डेरा मंदिर में जनसैलाब उमड़ पड़ा. डोली विदाई की आखिरी रस्म में बस्तर के राजकुमार पहुंचते हैं. राजकुमार कमलचंद भंजदेव ने पूजा अर्चना के बाद मावली देवी की डोली को विदा किया. लगभग 600 सालों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन आज भी विधि विधान से हुआ.
मावली माता की डोली की विदाई के दौरान पुलिसकर्मियों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. बंदूक से सलामी देकर मावली माता की डोली को जगदलपुर स्थित दंतेश्वरी मंदिर से दंतेवाड़ा के लिए विदा किया गया. दंतेवाड़ा से मावली माता की डोली दशहरा पर्व में शामिल होने के लिए जगदलपुर लाई जाती है. नवरात्रि की नवमी पर "मावली परघाव" की रस्म अदा की जाती है. बस्तर दशहरा की बची रस्म में मावली माता की डोली को शामिल किया जाता है. विजयादशमी के बाद पड़ने वाले मंगलवार को डोली विदाई की रस्म पूरी की जाती है.
मावली देवी की डोली को विदा करने उमड़ा जनसैलाब
3 दिन पहले बस्तर संभाग से पहुंचे हजारों देवी देवताओं को बस्तर राजकुमार कमलचंद और दशहरा पर्व समिति ने विदा किया था. आज मावली माता की डोली को ससम्मान विदाई दी गयी. लोग मावली माता की डोली को विदा करने के लिए हाथों में फूल माला, अगरबत्ती, नारियल लेकर दंतेश्वरी मंदिर से 2 किलोमीटर तक मौजूद रहे. जगह-जगह मावली माता की डोली की पूजा अर्चना की गई. रस्म की अदायगी के साथ 75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरा पर्व का समापन होता है.
विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व पूरे देश में 75 दिनों तक मनाए जाने वाले और 600 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन करने वाली एक अनूठा मिसाल है. बस्तर के दशहरा पर्व में 12 से अधिक अद्भुत रस्में निभाई जाती हैं. इस साल भी बस्तर दशहरा में शामिल होने लाखों की भीड़ जगदलपुर पहुंची हुई थी. दूसरे राज्यों के साथ-साथ बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटकों ने भी शिरकत की. आज डोली विदाई रस्म के साथ बस्तर दशहरा पर्व की समाप्ति हुई.
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