Bastar News: प्रमोशन की मांग को लेकर बस्तर में सहायक आरक्षकों का 'हथियार डालो आंदोलन' शुरू, दी ये चेतावनी
Bastar News: बस्तर के नक्सल प्रभावित जिलों में तैनात सहायक आरक्षक पदोन्नति की मांग को लेकर अब खुद आंदोलन पर उतर आये हैं. सहायक आरक्षकों ने थाने में आज से हथियार डालो आंदोलन की शुरुआत कर दी है.
Bastar News: बस्तर के नक्सल प्रभावित जिलों में तैनात सहायक आरक्षक पदोन्नति की मांग को लेकर अब खुद आंदोलन पर उतर आये हैं. सहायक आरक्षकों ने थाने में आज से हथियार डालो आंदोलन की शुरुआत कर दी है. दरअसल अब तक सहायक आरक्षकों की पदोन्नति की मांग को लेकर केवल उनके परिजन लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे. बीते 6 महीनों से लगातार आंदोलन के बावजूद राज्य सरकार सहायक आरक्षकों के परिजन की मांग को अनदेखी कर रही है. सहायक आरक्षकों ने सप्ताह भर के भीतर एक सूत्रीय मांग पूरी नहीं होने तक ड्यूटी पर नहीं जाने की चेतावनी दी है.
बस्तर में तैनात सहायक आरक्षक भी मांग पर अड़े
जानकारी के मुताबिक बस्तर में साल 2007 से नक्सलियों के खिलाफ स्थानीय युवाओं को एसपीओ SPO में भर्ती किया गया था और उसके बाद सहायक आरक्षक बनाया गया. इस दौरान सहायक आरक्षकों ने पुलिस नक्सली मुठभेड़ों के दौरान कई उपलब्धियां भी हासिल की और कई सहायक आरक्षकों की मुठभेड़ के दोरान जान भी गई. सहायक आरक्षकों को पद पर नौकरी करते 15 साल बीत गए हैं, बावजूद इसके ना पदोन्नति और ना ही मानदेय बढ़ाया गया. ऐसे में परिजनों के साथ अब बस्तर में तैनात खुद सहायक आरक्षक भी मांग को लेकर अड़ गए हैं.
इस मामले में बस्तर आईजी शासन को सहायक आरक्षकों की पदोन्नति के लिए पत्र लिखे जाने की बात कहते हैं. उनका कहना है कि जल्द ही पदोन्नति करने का भी आश्वासन मिला है. लेकिन परिजनों का आरोप बेबुनियाद है. उन्होंने राजधानी रायपुर में आंदोलन के दौरान परिजनों पर पुलिस लाठीचार्ज की घटना से इनकार किया. उन्होंने कहा कि आंदोलन की बात करनेवाले जवानों को सभी 7 जिले के एसपी समझाइश देने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन सहायक आरक्षक मांग से पीछे नहीं हटने को तैयार हैं. आईजी ने मामले को जल्द सुलझा लेने की कोशिश का आश्वासन दिया.
आज से थाने में हथियार डालो आंदोलन की शुरुआत
गौरतलब है कि पूरे बस्तर संभाग में 10 हजार से अधिक सहायक आरक्षक नक्सल प्रभावित जिलों में सेवा दे रहे हैं. इनमें से कई सहायक आरक्षक बकायदा सुरक्षा बलों के साथ नक्सल ऑपरेशन में जाते हैं और घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के थाने और चौकी में ड्यूटी भी कर रहे हैं. लेकिन बीते 15 साल से मानदेय के रूप में केवल 15 हजार दिया जा रहा है. ऐसे में परिजन मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. वहीं अब मांग पूरा न होता देख आंदोलन बड़ा रूप लेने लगा है. बड़ी संख्या में सहायक आरक्षकों के आंदोलन पर चले जाने से एंटी नक्सल ऑपरेशन पर काफी प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है. फिलहाल बीजापुर जिले में सहायक आरक्षकों की बड़ी संख्या ने हथियार थाने में जमा कर दिए हैं और ड्यूटी पर नहीं जाने की बात कहते हुए आंदोलन पर बैठ गए हैं. उन्होंने एक हफ्ते में मांग पूरी करने को कहा है.
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