Bastar News: छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में सदियों से चली आ रही आदिवासी परंपरा यहां की कला संस्कृति, वेशभूषा और कल्चर को जीवित रखने के लिए और इन्हें सरंक्षित करने के लिए  लगातार प्रशासन के द्वारा प्रयास किया जा रहा है. शहर के आसना ग्राम में बनी बस्तर एकेडमी ऑफ डांस आर्ट लिटरेचर (बादल) संस्था के माध्यम से इन्हें संजोकर रखने का प्रयास किया जा रहा है.


सोमवार को भी आदिवासी  समाज के प्रमुखों ने और बस्तर के आईजी, कमिश्नर के साथ ही सातों जिलों के कलेक्टर ने संभाग स्तरीय जनजाति समाज की बैठक ली. इस बैठक में  बस्तर के जनजातीय संस्कृति, परंपराओं के प्रदर्शन के लिए  एकेडमी में  हर शनिवार को बादल मंडई का आयोजन किये जाने का निर्णय लिया गया.


सभी जिलों में वॉलिंटियर की होगी तैनाती
बस्तर कलेक्टर रजत बंसल ने बताया कि बादल में हर शनिवार को आयोजित होने वाले मंडई में बस्तर के आदिवासी जनजातियों के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे साथ ही बस्तर में आदिवासियों के विभिन्न समुदाय द्वारा किये जाने वाले सभी तरह के नृत्य और लोक गीतों, कला संस्कृति  को फिर से जीवित किया जाएगा.


इसके लिए बकायदा संभाग के सातों जिलों में वॉलिंटियर नियुक्त किए जा रहे हैं. जो बस्तर के आदिवासी कलाकारों को संस्था के माध्यम से मंच प्रदान करेंगे. साथ ही आदिवासी छात्रों और शहरी छात्रों को यहां की संस्कृति परंपरा रहन सहन और नृत्य समेत वेशभूषा की जानकारी देंगे. कलेक्टर ने कहा कि कुल मिलाकर बादल एकेडमी आदिवासी जनजातियों के  कल्चर को संरक्षित करने के लिए प्रशासन के द्वारा किया जा रहा छोटा सा प्रयास है.


लगातार बढ़ रही पर्यटकों की संख्या
बस्तर के आईजी सुंदरराज पी  ने कहा कि बस्तर में पिछले कुछ सालों से नक्सली बैकफुट में होने की वजह से  पर्यटकों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. बस्तर की संस्कृति, यहां के नृत्य, संगीत को पर्यटकों तक पहुंचाने में बादल एकेडमी की विशेष भूमिका होगी.  उन्होंने कहा कि बादल एकेडमी के माध्यम से बस्तर की संस्कृति का प्रसार न केवल अन्य जगहों में होगा बल्कि यह आने वाली नयी पीढ़ी तक भी पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि बस्तर में निवासरत विभिन्न जनजातीय समुदाय के लोक परंपराओं, रीति-रिवाजों, पूजा-पद्धति,  समाज के जानकार लोगों के मार्गदर्शन में पूरा किया जाएगा, और इसकी शुरुआत शनिवार को आयोजित होने वाले मंडई से होगी.


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