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Bastar News: सरकारी समितियों में खाद की किल्लत, किसानों से मनमानी कीमत वसूल रहे दुकानदार
Bastar Fertilizer Shortage: सरकारी समितियों में खाद और डीएपी उर्वरक की कमी के चलते किसान निजी दुकानदारों से खाद खरीद रहे हैं.
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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में बारिश होने के साथ ही किसानों अपने-अपने खेतों में मक्के और धान की रोपाई शुरू कर दिया है. किसानों को खेती लिए खाद और बीज की जरूरत पड़ रही है. सरकारी समितियों में खाद और डीएपी की कमी के चलते किसान निजी दुकानदारों से खाद खरीद रहे हैं. बस्तर में कुछ दिनों से निजी दुकानदार किसानों को अधिक दाम में खाद दे रहे हैं. इन निजी दुकानदार ने बताया कि आने वाले दिनों में खाद की और ज्यादा किल्लत होगी इसलिए किसान फसल को नुकसान से बचने के लिए पहले से ही जरूरत के हिसाब से खाद का स्टॉक कर रहे हैं.
दुकानदार वसूल रहे मनमाना दाम
दुकानदारों के द्वारा खाद के दामों में 400 से 500 रुपये बढ़ाए जाने से किसान काफी परेशान हैं. जानकारी के मुताबिक 1350 रुपए की डीएपी को 1800 में बेचा जा रहा है वहीं पोटाश को 1700 की जगह 2 हजार से 2100 रुपए लिए जा रहे हैं. कुल मिलाकर रासायनिक खाद की कमी का फायदा निजी दुकानदार उठा रहे हैं और इन पर विभाग भी किसी तरह की कोई कार्यवाई नहीं कर रहा है.
निजी दुकानदार बढ़ा रहे खाद, यूरिया के दाम
बस्तर के किसानों ने बताया कि पिछले साल सहकारी समितियों में यूरिया की किल्लत थी और इस वजह से किसान निजी दुकानों से 700 से 800 रुपये में यूरिया खरीदे थे. इस साल भी यूरिया की कमी बन रही है इसलिए कुछ किसान पहले से ही निजी दुकानों से खाद और यूरिया खरीद कर स्टॉक कर रहे हैं. चूंकि किसानो को फसल में समय पर यूरिया डालना होता है और इसी का फायदा उठाकर निजी दुकानदार यूरिया से लेकर खाद में मनमाने दाम बढ़ाए हुए हैं जिसके चलते किसानों को खाद खरीदने में आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है.
वर्मी कम्पोस्ट को लेकर किसान नहीं ले रहे रुचि
रासायनिक खाद की कमी की पूर्ति करने राज्य सरकार ने गौठानों में वर्मी कंपोस्ट तैयार करवाया है. साथ ही इसे सहकारी समितियों में किसानों के लिए उपलब्ध भी कराया गया है, लेकिन वर्मी कंपोस्ट किसानों को पसंद नहीं है. उनका कहना है कि वर्मी कंपोस्ट का दाम अधिक है और उससे फसल की पैदावार उतनी अच्छी नहीं होगी जितनी रासायनिक खाद में होती है. खरीफ सीजन में हर साल मक्के का रकबा बढ़ता जा रहा है और मक्के की खेती में सबसे अधिक रासायनिक खाद की जरूरत पड़ती है.
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