Bastar News: धान खरीदी के पहले दिन बस्तर संभाग के 152 केंद्रों पर नहीं पहुंचा एक भी किसान, जानिए वजह
Bastar News: बस्तर संभाग में कुल 320 उपार्जन केंद्रों में से केवल 168 केंद्र में ही आज पहले दिन धान की खरीदी हुई. वहीं 152 केंद्रों में एक भी किसान धान बेचने नहीं पहुंचा.
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Bastar News: धान खरीदी के पहले दिन बस्तर संभाग के सभी धान खरीदी केंद्रों में स्थानीय जनप्रतिनिधि और अधिकारियों ने पहुंचकर धान खरीदी की शुरुआत कराई. हालांकि बस्तर संभाग में कुल 320 उपार्जन केंद्रों में से केवल 168 केंद्र में ही आज पहले दिन धान की खरीदी हुई. जिसमें कुल 842 किसानों ने लगभग 28 हजार 222 क्विंटल धान बेचा. वहीं 152 केंद्रों में एक भी किसान धान बेचने नहीं पहुंचा. जिला विपणन अधिकारी आरबी सिंह ने बताया कि बस्तर संभाग में कुल 2 लाख 29 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है जिनमें से 38 हजार नया पंजीयन है. इन किसानों से 85 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है, जिसकी कीमत करीब 16 अरब 15 करोड़ रुपये है.
लेकिन इस वर्ष पहले दिन काफी कम किसानों ने धान बेचने में रुचि दिखाई. अधिकारी ने भी माना कि कई धान खरीदी केंद्रों में व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने की वजह से किसानों को टोकन नहीं मिल पाया जिसकी वजह से किसान पहले दिन धान नहीं बेच पाए. आज बस्तर संभाग के बस्तर, कोंडागांव के साथ ही दंतेवाड़ा जिला में सबसे अधिक धान खरीदी हुई. वहीं सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर के कई उपार्जन केंद्र में किसानों की गैर मौजूदगी देखी गई और इसकी वजह किसानों को एक दिन पहले समय पर टोकन नहीं मिलना बताया जा रहा है. विपक्ष ने राज्य सरकार पर आधी अधूरी तैयारी के बीच किसानों से धान खरीदने का आरोप लगाया.
उसने धान खरीदी केंद्रों में सरकार की तैयारियों पर सवाल खड़े किए. कई केंद्रों में किसानों के लिए ना तो बैठने की व्यवस्था की गई है, ना शौचालय की और ना पेयजल की. किसान अपने धान को लेकर धूप में खड़े होकर बेचने को मजबूर हैं. विपक्ष का कहना है कि कई किसान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था की वजह से बिना धान बेचे आज वापस लौट गए. इधर किसान इस वर्ष के धान खरीदी में काफी चिंतित दिखाई दे रहे हैं क्योंकि बेमौसम बारिश ने बस्तर संभाग के भी सैकड़ों किसानों की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. धान के लाल होने से किसान शासन से मांग कर रहे हैं कि उनकी धान खरीदा जाए क्योंकि उन्होंने कर्ज लेकर फसल उगाया है. किसानों को डर है कि धान शासन की ओर से रिजेक्ट करने पर काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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