Bastar News: बस्तर के बीहड़ों में खाक छानने वाले नक्सलियों की जिंदगी अब संवरने वाली है क्योंकि देश में पहली बार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों (Surrendered Naxalites) के लिए आवासीय कॉलोनी (Residential Colony) का निर्माण किया जा रहा है. कॉलोनी छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिला दंतेवाड़ा में तैयार हो रही है. लगभग 39 एकड़ में बनाए जा रहे आवासीय कॉलोनी में सरेंडर नक्सलियों को पक्का मकान देने के साथ रोजगार का प्रशिक्षण (Pucca House and Job Training) भी मिलेगा.


समाज में रहकर बेहतर जीवन बिताने के लिए सरेंडर कर चुके नक्सलियों का हब पूरी तरह से बनकर तैयार है और जल्द ही उद्घाटन करने की भी योजना है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिले में चल रहे लोन वर्राटू (घर वापस आइए) अभियान (Lone Verratu Campaign) के बाद पुलिस अब समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आवासीय कॉलोनी विकसित कर रही है. देश में पहली बार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए इस तरह की कॉलोनी विकसित की जा रही है. आने वाले कुछ दिनों में कॉलोनी का उद्घाटन करने की योजना है.


39 एकड़ में बन रही है आवासीय कॉलोनी
दंतेवाड़ा एसपी सिद्धार्थ तिवारी (Dantewada SP Siddharth Tiwari) ने बताया कि शहर में पुलिस लाइन के सामने लगभग 39 एकड़ के क्षेत्र में कॉलोनी विकसित की जा रही है. आवासीय कॉलोनी में 108 वन बीएचके (1 BHK) अपार्टमेंट के साथ मनोरंजन केंद्र, योग केंद्र और जिम, प्राथमिक शाला, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, छात्रावास और आंगनबाड़ी केंद्र की सुविधा होगी. पहले चरण के तहत 21 एकड़ में निर्माण कार्य किया गया है. एसपी के मुताबिक निर्माण कार्य करने वाले कामगारों में सरेंडर कर चुके नक्सली भी शामिल हैं.


सरेंडर कर चुके नक्सली निर्माण कार्य में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं और खुद अपने हाथों से सपनों के मकान को तैयार कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें बाकायदा उनका मेहनताना भी प्रशासन की तरफ से दिया जा रहा है. एसपी  ने बताया कि गृह मंत्रालय की दी गई विशेष सहायता निधि (Home Ministry Special Fund) से कॉलोनी का निर्माण किया जा रहा है. दो किस्त के रूप में 5 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं. परियोजना की कुल लागत लगभग 9 करोड़ रुपए है. उन्होंने कहा कि दंतेवाड़ा जिले में पिछले वर्ष जून से लोन वर्राटू अभियान शुरू किया गया है. इस अभियान से प्रभावित होकर अब तक 500 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है.


लाल श्रेणी के सरेंडर नक्सलियों को आवास
इस अभियान के साथ-साथ पुलिस जिले के प्रत्येक गांवों में नक्सली खतरे की दृष्टि से सुरक्षा स्थिति का आकलन रही है. जिले में गांवों को तीन श्रेणियों- लाल (अतिसंवेदनशील), पीला (संवेदनशील) और हरा (सामान्य) में रखा गया है. उन्होंने बताया कि आंकलन के दौरान पाया गया कि लाल श्रेणी के गांव निवासी आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पूर्व सहयोगियों से खतरा है. उनका गांव वापस लौटना सुरक्षित नहीं होगा. एसपी सिद्धार्थ ने बताया कि आंकलन के बाद पुलिस ने ऐसे आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए आवासीय कॉलानी 'लोन वर्राटू हब' विकसित करने का फैसला किया. इस कॉलोनी में लाल श्रेणी गांवों के आत्मसमर्पित नक्सलियों को आवास की सुविधा दी जाएगी, लेकिन अपने पैतृक गांवों से स्थायी रूप से विस्थापित नहीं होंगे. जब उनका गांव लाल श्रेणी से निकलकर पीले या हरी श्रेणी में आता है और स्थिति उनके रहने के अनुकूल हो जाती है तब उन्हें वापस जाने की अनुमति दी जाएगी. उन्होंने कहा इसके अलावा लाल श्रेणी के गांवों में नक्सली हिंसा पीड़ितों को भी उनकी इच्छा के अनुसार कॉलोनी में आवास दिया जाएगा.


कॉलोनी में रोजगार के प्रशिक्षण देने से संबंधित संस्थान भी होगा. प्रशिक्षण में मोटरसाइकिल मरम्मत, लघु वनोपज प्रसंस्करण, आधुनिक खेती सहित लगभग 20 विभिन्न व्यवसाय शामिल हैं. इसके लिए कॉलोनी में 20 दुकानें भी बनाई जा रही हैं, जहां सरेंडर नक्सलियों को कौशल विकास प्रशिक्षण के बाद खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए सहायता दी जाएगी. मकानों की तरह दुकानों को स्थायी रूप से आबंटित नहीं किया जाएगा बल्कि सहकारी आधार पर संचालित किया जाएगा. प्रशासन पर विश्वास बढ़ाने के लिए लाल श्रेणी वाले गांवों में पुलिस ने निवासियों को आयुष्मान कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड और मतदाता परिचय पत्र प्राप्त करने और बैंक खाते खोलने में मदद करना शुरू कर दिया है.


सरेंडर नक्सलियों में मकान पर उत्साह 
देश में पहली बार तैयार हो रही आवासीय कॉलोनी पर आत्मसमर्पित नक्सलियों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. नक्सली संगठन में कमांडर रैंक को सरेंडर करने पर पक्का मकान रहने के लिए मिलने से काफी खुशी है. उनका कहना है कि लंबे समय से नक्सली संगठन में रहकर केवल जंगलों की छान मारी है और कभी नदी के पास तो कभी घनघोर जंगल में पूरा समय बिताया है, लेकिन अब सरकार की मुख्यधारा से जुड़कर नया जीवनदान मिला है. अब परिवार संग मकान में रहने का भी सपना पूरा हो रहा है. साथ ही जीवन यापन करने के लिए रोजगार भी प्रशासन की तरफ से उपलब्ध कराया जा रहा है. आत्मसमर्पित नक्सलियों ने जंगल में भटक रहे सहयोगियों से आत्मसमर्पण कर सरकार की मुख्यधारा से जुड़ कर सपने को साकार करने की अपील की है.


Kartarpur Corridor: 74 साल बाद करतारपुर साहिब में मिले थे दो भाई, अब पाकिस्तान हाई कमीशन ने जारी किया वीजा


ABP C Voter Survey: जाट किसके कराएंगे ठाठ? मुस्लिम और ब्राह्मण किसे चाहते हैं सीएम बनाना, सर्वे में हुआ बड़ा खुलासा