Bastar News: छत्तीसगढ़(Chhattisgarh) राज्य में नेशनल पार्क (National Park) क्षेत्र में वन संसाधन मान्यता पत्र दिए जाने वाला देश का दूसरा राज्य बन गया है. ओडिशा(Odisha) के बाद छत्तीसगढ़ के बस्तर में मौजूद कांगेर वैली नेशनल पार्क(Kangervally National Park) क्षेत्र में वन संसाधन मान्यता पत्र दिए जाएंगे. इससे वन वासियों को रोजगार के साथ-साथ आय के लिए अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध हो पाएगा. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल(CM Bhupesh Bghel) ने अपने भेंट- मुलाकात कार्यक्रम के तहत दरभा (Darbha) ब्लॉक के मंगलपुर(Mangalpur) गांव का दौरा किया.
सीएम ने यहां कांगेर वैली नेशनल पार्क में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय युवाओं को कोटमसर(Kotmasar) गुफा और पार्क में घूमाने पर्यटकों के लिए 15 जिप्सी वाहन दिए जाने की घोषणा की. साथ ही यहां के वनवासियों को वन संसाधन मान्यता पत्र दिए जाने की बात कही. ताकि इससे स्थानीय ग्रामीणों को फायदा मिल सके.
इसके साथ ही कांगेर वैली नेशनल पार्क के पास ही मौजूद प्रसिद्ध तीरथगढ़(Thirathgarh) वाटरफॉल की खूबसूरती को निहारने के लिए और इस वाटरफॉल की सुंदरता को बेहतरीन व्यू से निहारते रहने के लिए नेचर ट्रेल बनाया गया है. इस नेचर ट्रेल को करीब 2 करोड़ 59 लाख रुपए की लागत से इसे बनाया गया है. वहीं 1 करोड़ 10 लाख रुपए की लागत से इको कॉटेज और प्रेजेंटेशन सेंटर बनाये जाने के लिए मुख्यमंत्री ने भूमिपूजन किया.
वनवासियों के लिए बनाये जाएंगे मान्यता पत्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ का बस्तर अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और यहां पर्यटको को ज्यादा से ज्यादा बस्तर की खूबसूरती देखने को मिले इसके लिए लगातार राज्य सरकार प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि कांगेर वैली नेशनल पार्क छत्तीसगढ़ का काफी खूबसूरत पार्क है और यहां पर पाए जाने वाले वन संसाधनों से यहां के वासियों को काफी फायदा हो सकता है. इसे देखते हुए वनवासियों को वन संसाधन मान्यता पत्र दिए जाएंगे ताकि यहां के ग्रामीणों को वनों से मिलने वाली वनोपज और अन्य वन संसाधनों से ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके और उनकी आय में वृद्धि हो सके.
बस्तर की पपीते की मुख्यमंत्री ने की तारीफ
मुख्यमंत्री ने दरभा ब्लॉक में बंजर भूमि पर पपीता उगा रहे महिला स्व सहायता समूह से भी मुलाकात की और पपीता का स्वाद चखा. महिलाओं ने बताया कि उन्होंने 10 एकड़ में पपीता लगाया है और लगभग 300 टन पपीते का उत्पादन 10 महीने में हो चुका है और यह पपीता 40 लाख रुपए में बेचा गया है. दिल्ली ,मुंबई और उत्तर प्रदेश के साथ आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बस्तर के पपीते की काफी डिमांड है. महिलाओ ने बताया कि पपीते को बेचकर समूह को 10 लाख रुपए की आय हुई है.
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