Bastar News: बस्तर में सरकारी अस्पतालों से संविदा कर्मचारियों को हटाए जाने के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. संभाग के सबसे बड़े अस्पताल के साथ ही महारानी अस्पताल में इन दिनों इलाज नहीं मिलने से मरीजों का बुरा हाल है. मरीजों के साथ आए परिजनों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल 2 साल पहले डीएमएफटी फंड के माध्यम से नियुक्त किए गए 600 संविदा कर्मचारियों को हाल ही में नौकरी से निकाल दिया गया है. जेमिति फंड के माध्यम से नियुक्त लैब से लेकर सीटी स्कैन, डायलिसिस मशीन के तकनीशियनों को भी हटा दिया गया है. पहले से ही स्टाफ का सामना कर रहे इन दोनों सरकारी अस्पतालों में जरूरी सेवा का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है.


संविदा कर्मचारियों को हटाने से बहदाल हुई स्वास्थ्य सेवा


बीते कई दिनों से दोनों अस्पतालों में सरकारी दवाइयों की कमी भी बनी हुई है. ज्यादातर वार्डों में अस्पताल की जरूरी सेवा सही समय पर मरीजों को नहीं मिल पा रही है. इन सरकारी अस्पतालों में अधिकतर ग्रामीण अंचल वासी इलाज के लिए पहुंचते हैं. संविदा कर्मचारियों के हटने से कई वार्डों में स्टाफ नर्स भरोसे ही इलाज चल रहा है. वार्डों में पर्याप्त स्टाफ नहीं होने की वजह से इमरजेंसी के वक्त परिजनों को काफी परेशानी भी उठानी पड़ रही है. जेनेरिक मेडिसिन भी मरीजों को अस्पताल में नहीं मिल पा रही है. परिजनों को बाहर के मेडिकल स्टोर से दवाई खरीदनी पड़ रही है. मरीज के परिजनों की शिकायत है कि बाहर से दवाई महंगे दाम में मिल रही है और दवाई लेने में भी असमर्थ हैं. 


मरीज के परिजन स्ट्रैचर और वील चेयर उठाने को मजबूर


इधर अस्पताल अधीक्षक टीकू सिन्हा ने बताया कि संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में सातों जिलों से गंभीर मरीजों को लाया जाता है और उनका इलाज किया जाता है. लेकिन केवल 158 स्टाफ नर्स और 146 वार्ड बॉय के भरोसे पूरा अस्पताल चल रहा है. स्टाफ पर्याप्त नहीं होने के कारण बस्तर और अलग अलग जिलों से मरीजों को खुद परिजन स्ट्रैचर और वील चेयर पर डॉक्टर को दिखाने और वार्डो में भर्ती कराने को मजबूर हैं.अस्पताल अधीक्षक का कहना है कि व्यवस्था दुरुस्त करने की पूरी कोशिश की जा रही है और स्टाफ को भी मरीजों के लिए हर संभव मदद पहुंचाने का आदेश दिया गया है. अधीक्षक ने माना कि कुछ दवाइयों की कमी अस्पताल में बनी हुई है और इसके लिए राज्य शासन को पत्र लिखा गया है. लेकिन इमरजेंसी सेवा बंद ना हो इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था भी अस्पताल प्रबंधन अपने माध्यम से कर रहा है. 


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