Chhattisgarh News: जागो ग्राहक जागो का संदेश देते हुए उपभोक्ताओं को इंसाफ दिलाने के लिए गठित जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम का छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में काफी बुरा हाल है. इस फोरम में सुनवाई पिछले दो सालों से अटकी हुई है. पहले कोरोना की वजह से काम अटका, इसके बाद सदस्यों की नियुक्ति लंबित होने की वजह से करीब एक साल तक सुनवाई नहीं हो सकी. अब चेयरमेन नहीं होने से काम प्रभावित हो रहा है. इन दो सालों के बीच जिला उपभोक्ता फोरम में करीब 150 मामले दर्ज हैं.


दो साल से सुनवाई अटकी होने की वजह से मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं लेकिन इनका निपटारा नहीं हो पा रहा है.  एक्ट के मुताबिक फोरम की कार्यवाई चलाने के लिए न्यूनतम फोरम में दो सदस्यों का होना जरूरी है और फैसला सुनाने के लिए अध्यक्ष का होना अनिवार्य है, लेकिन सुनवाई के लिए कोरम पूरा करने के लिए जिन लोगों की जरूरत है, उनकी नियुक्तियां ही नहीं हुई है.


चेयरमेन के पास 6 जिलों का प्रभार 


चेयरमेन का पद खाली होने के बाद जगदलपुर जिला उपभोक्ता संघ का प्रभार दुर्ग के चेयरमेन योगेंद्र चंद गुप्त को दिया गया है. इनके पास छह अलग-अलग जिलों का प्रभार है. इसमें महासमुंद, धमतरी, कांकेर, दंतेवाड़ा और राजनांदगांव शामिल है. ऐसे में महीने में एकाद बार ही ऐसी स्थिति बनती है कि सुनवाई हो सके. ऐसे में अब यहां दर्ज मामलों का निपटारा नहीं हो पा रहा है. इससे उपभोक्ताओं की विश्वसनीयता भी खत्म हो रही है.


फैसला सुनाने का काम पूरी तरह से बंद


सरकारी प्रावधानों के मुताबिक जिला उपभोक्ता फोरम के कोर्ट में सुनवाई और फैसले के दरमियान अध्यक्ष के साथ दो सदस्यों का रहना अनिवार्य होता है. इसके लिए एक महिला और एक पुरुष का कोटा तय है. जिनमें आयोग और सरकार की अनुशंसा के बाद नियुक्तियां की जाती है. इनके बिना फोरम का प्रेसिडेंट किसी तरह के मामलों का निपटारा करने के लिए अक्षम होता है. यही वजह है कि काम प्रभावित हो रहा है और 3 फरवरी 2021 को सदस्यों का कार्यकाल भी खत्म हो गया है, जिसके बाद कोर्ट में सुनवाई और फैसले देने का काम पूरी तरह से बंद हो चुका है.


मामले लंबित, उपभोक्ता वापस लौट रहे


बस्तर जिला उपभोक्ता फोरम में 150 से अधिक मामले लंबित हैं. नए मामलों में केस रजिस्टर्ड होने और दूसरे पक्ष को नोटिस के बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. सबसे अधिक परेशानी पुराने लंबित मामलों के प्रार्थी और पक्षकारों को हो रहा है. काम-काज छोडक़र आने वाले उपभोक्ताओं की पेशी दिन-ब-दिन बढ़ा दी जाती है, जिसके कारण उन्हें लौटना पड़ता है. पीडि़तों के मुताबिक वापसी के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं है. सरकार जब नई नियुक्ति करेगी तब उन्हें राहत मिलने की उम्मीद है.


ये भी पढ़ेंः


Bastar Rain: झमाझम बारिश से खिले किसानों के चेहरे, धान की रोपाई शुरू, मौसम विभाग ने बताया आगे कैसे बरसेंगे बादल


Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ को मिला नई उद्योग नीति से फायदा, 11 इंडस्ट्रीज में उत्पादन शुरू, लाखों लोगों को मिलेगा रोजगार