Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में बीते 613 सालों से  मनाए जाने वाले सबसे लंबे  त्यौहारों में से एक गोंचा महापर्व का समापन शनिवार को बाहूड़ा गोंचा रस्म के साथ हुआ. बाहुड़ा रस्म अदायगी के दौरान भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र को अपनी मौसी के घर जनकपुरी से जगन्नाथ मंदिर के लिए रवाना किया गया. इस रस्म अदायगी के दौरान बस्तर के गोंचा पर्व  समिति के लोगों ने तीन विशालकाय रथ में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र के विग्रहों को रथारुढ़ कर जगन्नाथ मंदिर तक लाया.


इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे. बस्तर में हो रही भारी बारिश के बावजूद भी श्रद्धालुओं का भगवान के प्रति आस्था कम नहीं हुआ और बड़े ही धूमधाम से ऐतिहासिक गोंचा पर्व के आखिरी रस्म की अदायगी की गई.

रथ परिक्रमा के साथ गोंचा पर्व का हुआ समापन
गोंचा पर्व समिति के अध्यक्ष ने बताया कि 14 जून से गोंचा पर्व की शुरुआत हुई थी और करीब 26 दिनों तक इस पर्व के सारे रस्मो को धूमधाम से मनाया गया. पर्व के आखिरी दिन शनिवार को शहर के सीरासार भवन में बने जनकपुरी से भगवान जगन्नाथ,देवी सुभद्रा और बलभद्र के विग्रहों को विशालकाय तीन रथों में रथारुढ़ कर जगन्नाथ मंदिर लाया गया.


इस रथ परिक्रमा को देखने केवल बस्तर से ही नहीं बल्कि दूरदराज से बस्तर घूमने आए बड़ी संख्या में सैलानी भी मौजूद रहे. पर्व के समापन के आखिरी दिन तीनों ही भगवान की विशेष पूजा अर्चना की गई. इस दौरान श्रद्धालुओं ने बांस की नली से बनी तुपकी चलाकर भगवान जगन्नाथ के रथ को सलामी दी.


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