Bastar: ‘लाल आतंक’ के गढ़ बस्तर में जमीन खो रहे नक्सली संगठन, जानें कैसे बैकफुट पर आने को मजबूर?
बीते सालों में नक्सल संगठन को पुलिस ऑपरेशन से काफी नुकसान पहुंचा है और अब धीरे-धीरे नक्सली अंदरूनी क्षेत्रों में जनाधार भी खोते जा रहे हैं. कई नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं .
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Bastar News: लाल आतंक का गढ़ कहे जाने वाले बस्तर में पिछले कुछ वर्षों से नक्सली संगठन लगातार कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं. पुलिस के एंटी नक्सल ऑपरेशन और नक्सलियों की मांद में नये पुलिस कैंप खोले जाने से नक्सलियों के गढ़ में पुलिस की दखलअंदाजी बढ़ी है. इसका फायदा देखने में आ रहा है कि पिछले कुछ वर्षों से नक्सली बस्तर में बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. बीते वर्षों में नक्सल संगठन को पुलिस ऑपरेशन से काफी नुकसान पहुंचा है और अब धीरे-धीरे नक्सली अंदरूनी क्षेत्रों में जनाधार भी खोते जा रहे हैं. यही वजह है कि कई नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़ सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण कर रहे हैं और बस्तर से नक्सलवाद का खात्मा के लिए बस्तर पुलिस का भरपूर सहयोग भी कर रहे हैं.
2 वर्षों में नक्सलियों को पहुंचा नुकसान
बस्तर आईजी सुंदरराज पी से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2020-21 में 333 नक्सली घटनाओं में 122 मुठभेड़ हुई और मुठभेड़ में 44 नक्सलियों को पुलिस ने मार गिराया. इसके अलावा 344 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. पुलिस ने बस्तर संभाग के अलग-अलग क्षेत्रों से कुल 439 नक्सलियों को गिरफ्तार किया. हालांकि साल 2020-21 में 37 जवानों की शहादत हुई और 49 आम नागरिक मारे गए. नक्सलियों का 82 हथियार पुलिस ने जब्त किया. इसके अलावा साल 2021-22 में कुल 232 नक्सली घटनाएं हुईं, जिसमें 114 मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने 42 नक्सलियों को मार गिराया. सबसे ज्यादा साल 2021-22 में 519 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. 470 नक्सलियों को गिरफ्तार करने में पुलिस को मिली. वहीं 39 जवानों की शहादत हुई. साथ ही 39 आम नागरिक भी मारे गए. नक्सलियों के 76 हथियार भी पुलिस ने जब्त किये.
35 से ज्यादा नए पुलिस कैंप खोले गये
बस्तर आईजी ने बताया कि इन 2 वर्षों में नक्सलियों को पुलिस से काफी नुकसान पहुंचा है और सबसे अधिक बीते 2 वर्षों में नक्सलियों को मार गिराने में पुलिस को सफलता मिली. पिछले 2 वर्षों में 35 से अधिक नए पुलिस कैंप नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित किए गए जिसके चलते पुलिस को सफलता मिली. आईजी ने कहा कि बस्तर में धीरे-धीरे नक्सल संगठन अब कमजोर पड़ रहा है. यही वजह है कि नक्सलियों में आपस में गैंगवार शुरू हो चुका है और अपने ही साथियों को नक्सली मौत के घाट उतार रहे हैं. आईजी ने कहा कि तेजी से कमजोर पड़ते नक्सली संगठन की बौखलाहट बड़े नक्सली लीडरों में साफ देखी जा रही है. अंदरूनी क्षेत्रों में स्थानीय ग्रामीणों को संगठन में शामिल करने के लिए लीडर जबरन दबाव बना रहे हैं. लेकिन ग्रामीण अब नक्सलियों का साथ छोड़ पुलिस का भरपूर साथ दे रहे हैं. साथ ही अब ग्रामीणों की भी मंशा है कि उनके गांव में विकास पहुंचे, इसके लिए बस्तर पुलिस अभियान चलाकर ग्रामीणों का भरोसा जीतने के साथ गांवों में विकास पहुंचा रही है. पुलिस अब नक्सलियों के मांद में घुसकर मुंह तोड़ जवाब दे रही है. आईजी ने कहा कि बीते वर्षों में 86 नक्सली मारे गए हैं और इनमें कई इनामी नक्सली भी शामिल हैं. धीरे-धीरे बस्तर से लाल आतंक खत्म हो रहा है और आने वाले समय में पुलिस नक्सली संगठन के खिलाफ और ज्यादा आक्रामक होगी. तेजी से एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाकर नक्सल मुक्त बस्तर बनाने का पुलिस भरपूर प्रयास करेगी.
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