Bastar News: एक तरफ भारत देश में 15 अगस्त का स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी का गणतंत्र दिवस दोनों राष्ट्रीय पर्व धूमधाम से मनाए जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सली राष्ट्रीय पर्वों को काला दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं. हर साल राष्ट्रीय पर्व के दौरान नक्सली पूरे बस्तर संभाग में बंद का ऐलान करते हैं और संभाग के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों और गांवों में काला झंडा फहराते हैं. हालांकि पिछले कुछ वर्षों से बस्तर में तैनात सुरक्षा बल और ग्रामीणों के विरोध के बाद नक्सली अब इक्का-दुक्का जगह ही काला झंडा फहरा पा रहे हैं.
सुरक्षा बल के जवान अब इन घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सल ऑपरेशन के जरिए स्कूलों और पंचायतों में तिरंगा लहराकर बकायदा ग्रामीणों के साथ राष्ट्रगान गाते हैं. बस्तर में तैनात सुरक्षा कर्मियों की बहादुरी के कारण नक्सली बैकफुट पर हैं. नक्सलियों के काला झंडा फहराने की जगहों पर ग्रामीणों के बीच तिरंगा लहराया जाता है और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है. हालांकि नक्सली वर्तमान में भी 26 जनवरी और 15 अगस्त पर बंद का ऐलान करते हैं. नक्सलियों की बंदी को देखते हुए सुरक्षा कर्मी पूरी तरह मुस्तैद रहते हैं, ताकि नक्सली राष्ट्रीय पर्व के दिन किसी तरह की कोई अप्रिय घटना या सरकारी संपत्ति को नुकसान ना पहुंचा सकें.
नक्सली संगठन संविधान को नहीं मानता
बस्तर संभाग में ऐसे कई घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र हैं जहां पिछले 2 दशकों से तिरंगा नहीं लहराया गया है और इसकी वजह है नक्सलियों की दहशत. दरअसल, नक्सली आजादी का पर्व 15 अगस्त और 26 जनवरी को काला दिवस के रूप में मनाते हैं. इसकी वजह है कि नक्सली संगठन देश के संविधान को नहीं मानता है. इसलिए जब भी 26 जनवरी के दिन पूरा भारत गणतंत्र दिवस मना रहा होता है तब नक्सल प्रभावित इलाकों में सब कुछ बंद होता है. नक्सली बंद के दौरान अंदरूनी क्षेत्रों में उत्पात मचाने के साथ जवानों को निशाना बनाने, पुलिस कैंपों पर हमला करने, सड़क मार्ग को अवरुद्ध करने के साथ ही रेल मार्ग को नुकसान पहुंचाने की फिराक में होते हैं. साथ ही 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन अंदरूनी क्षेत्रों में काला झंडा भी नक्सलियों की तरफ से फहराया जाता है. ग्रामीणों पर राष्ट्रीय पर्वों का बहिष्कार करने के लिए दबाव बनाया जाता है.
अब नक्सल गढ़ में शान से लहरा रहा तिरंगा
हालांकि बीते कुछ वर्षों से नक्सलियों के गढ़ में जवानों की पहुंच से अब कई क्षेत्रों में काला झंडा नहीं बल्कि तिरंगा शान से लहराना संभव हुआ है. जवान नक्सलियों की मांद में घुसकर ग्रामीणों का विश्वास जीत रहे हैं. यही वजह है कि अब ग्रामीण राष्ट्रीय पर्व के दौरान नक्सलियों के काला दिवस का विरोध करते हैं और बकायदा गांव के स्कूलों, पंचायतों में सुरक्षा बलों की मौजूदगी के बीच तिरंगा फहरा कर इस पर्व का जश्न मनाते हैं. बस्तर आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि खौफ की वजह से ग्रामीण नक्सलियों के साथ काला दिवस मनाने को मजबूर थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में लगातार खोले जा रहे नये पुलिस कैंप और सुरक्षा बलों की तैनाती से नक्सली बैकफुट पर हैं और जहां जहां नक्सली पहले राष्ट्रीय पर्व के दौरान काला झंडा फहराते थे अब जवान पूरे ग्रामीणों के साथ राष्ट्रीय ध्वज लहराकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. ऐसे कई गांव हैं जहां केवल नक्सलियों की पहुंच थी, लेकिन अब जवान धीरे-धीरे इन इलाकों में भी घुसकर नक्सलियों का मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं और ग्रामीणों का विश्वास भी जीत रहे हैं. आईजी ने कहा कि आने वाले कुछ वर्षों में पूरे बस्तर संभाग के ग्रामीण अंचलों में तिरंगा लहराएगा और इसके लिए सुरक्षा बल पूरी तरह से तटस्थ है.
संभाग भर में राष्ट्रीय ध्वज लहराने का लक्ष्य
इसके अलावा आईजी ने कहा कि राष्ट्रीय पर्व पर नक्सलियों के बंद को देखते हुए भी बस्तर संभाग के सभी थाना, चौकी और पुलिस कैंपों में हाई अलर्ट जारी किया गया है. नक्सली बंद के दौरान किसी भी तरह का कोई नुकसान ना पहुंचा पाए, इसके लिए जवानों को पूरी तरह से मुस्तैद रहने की सख्त हिदायत है. आमजन को भी नक्सली किसी तरह का कोई नुकसान ना पहुंचा पाए, इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार राष्ट्रीय पर्व पर और उसके बाद भी सर्चिंग अभियान जारी रखने का आदेश जारी किया गया है. फिलहाल बस्तर पुलिस कोशिश कर रही है कि राष्ट्रीय पर्व के दौरान नक्सली संभाग के किसी भी इलाके में कोई वारदात को अंजाम ना देने पाएं.
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