Bastar News: छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा रैली, आंदोलन, जनसभा, जुलूस जैसे कार्यक्रमों में लगी पाबंदियों का अब नक्सलियों ने भी विरोध शुरू कर दिया है. नक्सली संगठन के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता और खूंखार नक्सली विकल्प ने प्रेस नोट जारी कर सरकार के इस फैसले को गैर संवैधानिक बताया है. विकल्प ने कहा है कि पिछले तीन महीने से नया रायपुर में चल रहे किसान आंदोलन पर लाठी चार्ज की गई है, ये घोर निंदनीय है.
आंदोलन पर बैठे ग्रामीणों को भी हटाया गया
नक्सलियो ने अपने प्रेस नोट में कहा कि बीजापुर के बेचापाल और पुसनार गांव में ग्रामीण पुलिस कैंप को हटाने और अब तक बस्तर में जितने भी नरसंहार हुए हैं, उसके विरोध में शांतिपूर्ण आंदोलन में बैठे हुए थे, लेकिन उन्हें भी हटा दिया गया है. नक्सली प्रवक्ता विकल्प ने आगे कहा कि आंदोलनरत ग्रामीणों को भरोसा दिलाया गया था कि सरकार तक उनकी बात पहुंचाई गई है और जल्द ही इसपर निर्णय लिया जाएगा, लेकिन निर्णय लेने की बजाय उन्हें आंदोलन स्थल से ही भगा दिया गया, जो कि सरासर गलत है.
'आंदोलन करना संवैधानिक अधिकार'
विकल्प ने कहा कि कोरोनाकाल के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए चुनाव सभाएं, कुंभ मेला आयोजित करने वाली बीजेपी और कांग्रेस की सरकारें जनता के अधिकारों का हनन कर रही हैं, जिनका हर तरफ से कड़ा विरोध किया जाना चाहिए. सरकारों की जनविरोधी नीतियों के प्रति अपना विरोध दर्ज करना, अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन करना संवैधानिक अधिकार है और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. बैठक करने और शांतिपूर्ण विरोध दर्ज करने का मूलभूत अधिकार है, जिनसे लोगों को वंचित करने की कोशिश भूपेश बघेल सरकार के द्वारा की जा रही है.
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