Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से चलायी जा रही कुपोषण मुक्त योजना का बस्तर में बुरा हाल है. डेढ़ महीने से आंगनबाड़ी केंद्रों में पौष्टिक आहार बंद है. गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों से वापस लौटना पड़ रहा है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका महिलाओं को गर्म भोजन बनाने के लिए सामान और पैसे भी नहीं मिलने की बात कहते हुए वापस भेज रही हैं. 1981 आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्म भोजन, केला और अंडा नहीं मिल रहा है. जिले में 15 हजार गर्भवती महिलाएं और कुपोषित बच्चे चिह्नित किये गये हैं.


बता दें कि साल 2019 में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की गई थी. योजना के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्भवती और कुपोषित बच्चों को गर्म भोजन, अंडा और केला दिया जाना था. लिहाजा जिले में कुपोषण का प्रतिशत बढ़ता हुआ नजर आ रहा है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि पौष्टिक आहार नहीं मिलने का असर गर्भवती महिलाओं और बच्चों की सेहत पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों में अंडा और केला भी पिछले तीन महीनों से नहीं मिल रहा है.


कुपोषण मुक्त योजना डेढ़ महीने से बंद


बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारी बजट का रोना रोते हैं. उन्होंने कहा कि शासन की तरफ से बजट जारी होने पर एक बार फिर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को सुपोषण अभियान के तहत पौष्टिक आहार परोसा जायेगा. मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के अंतर्गत मैन्यू तय किया गया है. गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों को रोजाना दो रोटी, सौ ग्राम चावल, 25 ग्राम मिक्स दाल, 80 ग्राम रसदार सब्जी इसके अलावा तीन दिन सोयाबीन, चना और 3 दिन हरी सब्जी स्थानीय स्तर पर उपलब्ध मुनगा भाजी, लाल भाजी, पालक भाजी, 5 ग्राम फोर्टिफाइड तेल, 10 ग्राम गुड़ देना है. एक दिन में एक महिला के लिए 15 रुपये का सामान खर्च होता है.


मार्च के दूसरे सप्ताह से गर्म भोजन अब तक बंद है. पहले अचार, पापड़, सलाद भी दिये जाने का प्रावधान था, लेकिन फंड कम मिलने और खर्च बढ़ने से अचार, पापड़, सलाद दिया जाना बंद कर दिया गया है.


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