छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में सुपोषण अभियान इन दिनों दम तोड़ती नजर आ रही है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से बस्तर जिले के लगभग 2 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लग चुका है और लगभग 65 हजार बच्चों को पोषण आहार मिलना बंद हो गया है, साथ ही 15 हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं को विभाग से मिलने वाली योजना के तहत सभी सुविधा बंद कर दी गई है. दरअसल अपनी मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं और ऐसे में कुपोषण मुक्त बस्तर का सपना अधूरा रह गया है.
आलम यह है कि पहले ही बस्तर में पिछले 2 सालों में कुपोषण का प्रतिशत बढ़ा है. वहीं अब पिछले 6 दिनों से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के हड़ताल पर चले जाने से सुपोषण योजना के तहत बच्चों को मिलने वाली पोषण आहार भी नहीं मिल पा रही है, और यह योजना पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है.
मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
बस्तर जिले में भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से जिले में इसका काफी बुरा असर पड़ता दिखाई दे रहा है. आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लग जाने की वजह से खासकर ग्रामीण क्षेत्रो में कई कुपोषित बच्चों को पोषण आहार नहीं मिल पा रहा है, वहीं जिला प्रशासन ने भी इन आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है, जिले के करीब 65 हजार बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों में मिलने वाले पोषण आहार से पूरी तरह से वंचित है.
सबसे ज्यादा इस अनिश्चितकालीन हड़ताल से कुपोषित बच्चों के सेहत पर असर पड़ रहा है, उन्हें हर दिन ready-to-eat और विटामिन, प्रोटीन युक्त भोजन आंगनबाड़ी केंद्र में दिया जाना है लेकिन केंद्र में ताला लग जाने की वजह से उन्हें पोषण आहार नहीं मिल पा रहा है.
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष प्रेमवती नाग का कहना है कि जब तक सरकार उनकी 6 सूत्रीय मांगे पूरी नहीं कर देती तब तक वह अपने हड़ताल से वापस नहीं लौटेंगे, उन्हें भी कुपोषित बच्चों की चिंता है लेकिन सरकार ने घोषणा पत्र में वादा किया था और आज 4 साल बीत जाने के बाद भी अपने किए गए वायदे पर सरकार एक भी वादा को पूरा नहीं कर सकी है, जिस वजह से उन्हें मजबूरन सड़क की लड़ाई लड़नी पड़ रही है, प्रेमवती नाग ने बताया कि पूरे बस्तर जिले में 4 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका हड़ताल पर हैं.
केंद्रों के संचालन के लिए नहीं है वैकल्पिक व्यवस्था
दरअसल आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका ने अपने 6 सूत्रीय मांगों में उन्हें शासकीय कर्मचारी घोषित करने के साथ रिटायर्ड होने के बाद पेंशन, इसके अलावा भविष्य निधि जीवन निर्वाह भत्ता और उनके परिवार वालों को स्वास्थ सुविधा के साथ ही उनके बच्चों के लिए शिक्षा की सुविधा लागू करने की मांग की है.
इधर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए 3 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार ने इन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कोई भी बातचीत नहीं की है, और न ही जिला स्तर पर आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की है, जिसके चलते जिले के लगभग 2 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लग चुका है, और जिले के करीब 15 हजार गर्भवती महिलाओं को भी पोषण आहार और गरम भोजन नहीं मिल पा रहा है.
पहले ही बस्तर जिला में कुपोषण का प्रतिशत काफी बढ़ा हुआ है ,ऐसे में अब आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लग जाने से जिले के कुपोषित बच्चों को पोषण आहार भी नहीं मिल पा रहा है ,हालांकि इस मामले में बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार का कहना है कि सरकार की ओर से अभी तक कोई फैसला नहीं आया है, ऐसे में प्रशासन इन केंद्रों के संचालन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था तलाश रही है, फिलहाल अभी केंद्रों में ताला लगा हुआ है.
इसे भी पढे़ं: