Bastar: बस्तर संभाग में सालों बाद भी ट्रामा सेंटर की सुविधा नहीं, नक्सलियों से लोहा लेने वाले जवानों को भी उठाना पड़ता है खामियाजा
Bastar News: छत्तीसगढ़ के 7 जिलों वाले बस्तर संभाग में अब तक ट्रामा सेंटर नहीं खुलने से आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यहां हादसा होने पर घायलों को कई किलोमीटर दूर ले जाना पड़ता है.
Bastar Trauma Center: छत्तीसगढ़ के बस्तर में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का न होना कई बार जानलेवा साबित होता है. बस्तर में मेडिकल कॉलेज शुरू हुए करीब 9 साल बीत गए हैं लेकिन अगर कोई बड़ा हादसा हो जाए या फिर बड़ी नक्सल घटना हो जाए तो घायलों को इलाज के लिए 300 किलोमीटर तक अपनी सांसें गिननी पड़ती हैं. इसके पीछे वजह है 7 जिलों वाले बस्तर संभाग में अब तक ट्रामा सेंटर का ना खुल पाना. ट्रामा सेंटर का अब तक ना खुल पाने का खामियाजा कई बार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जान जोखिम में डालकर नक्सलियों से लोहा ले रहे जवानों को भी उठाना पड़ता है.
नक्सल प्रभावित बस्तर में 50 हजार से अधिक पुलिस और अर्धसैनिक बल सुरक्षा में तैनात हैं. नक्सल हमले या एनकाउंटर में बुरी तरह घायल हो जाने के बाद बेहतर इलाज के लिए उन्हें एयरलिफ्ट करना पड़ता है. वहीं अगर उन्हें एयरलीफ्ट कर जगदलपुर के डीमरापाल अस्पताल लाया भी जाता है तो इतने बड़े अस्पताल में ट्रामा सेंटर के शुरू न होने की वजह से उन्हें अच्छा इलाज नहीं मिल पाता. जिससे कई लोगों की जान भी चली जाती है.
रेफर सेंटर बनकर रह गया ट्रामा सेंटर
प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा दो साल पहले ट्रामा सेंटर खुलने की घोषणा के बाद 9 करोड़ रुपए खर्च कर स्व. बलीराम कश्यप स्मृति मेडिकल कॉलेज भवन में ट्रामा सेंटर भवन का निर्माण तो कर दिया गया है. लेकिन इतने रुपए खर्च करने के बावजूद मेडिकल कॉलेज गंभीर मरीजों के लिए सिर्फ एक रेफर सेंटर बनकर रह गया है. संभाग के सभी जिलों से मरीज रेफर होकर जगदलपुर आते हैं फिर यहां सुविधाएं न होने की वजह से रायपुर भेज दिए जाते हैं.
नक्सल हमले में घायल जवान हो या अन्य हादसे में घायल मरीजों को जगदलपुर से रायपुर के बीच की 300 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. इसमें 6 से 7 घंटे का वक्त लगता है और कई बार मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता है. बीते कई सालों से बस्तर के लोग ट्रॉमा सेंटर की मांग करते आ रहे हैं. वहीं पुलिस प्रशासन भी जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की मांग करता आ रहा है. जिससे घायल जवानों की जान बचाई जा सके. सीएम के द्वारा 11 महीने पहले ट्रामा सेंटर के शुंभारभ के बाद भी इस सेंटर में ईलाज का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है.
कोविड ने डाला अंढ़गा
बस्तर कलेक्टर रजत बंसल का कहना है कि ट्रामा सेंटर शुरू करने के लिए शासन से करीब 9 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली थी. सेंटर में वार्ड भी तैयार किया जा रहा है जो लगभग पूरा होने वाला है. कलेक्टर ने बताया कि करोना की वजह से इस सेंटर को कोविड वार्ड बनाया गया था. जहां कोविड के मरीजों का ईलाज किया जा रहा था. लेकिन अब स्थिति सामान्य होने के बाद आने वाले 4 से 5 महीनों में सेंटर क शुरू करने की योजना बनाई गई है. इसके लिए सेंटर में न्यूरो सर्जन, स्टाफ नर्स और स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की नियुक्ति के लिए इंटरव्यू की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है. कलेक्टर का कहना है कि ट्रामा सेंटर को लेकर सरकार और जिला प्रशासन पूरी तरह से गंभीर है. जल्द ही इसकी सुविधा बस्तर में तैनात जवानों और बस्तरवासियों को मिल सके इसकी पूरी कोशिश की जा रही है.
यह है ट्रामा सेंटर की फैसिलिटी
हादसों में गंभीर रूप से घायल हेड इंज्यूरी, फ्रैक्चर और जले हुए मरीजों को तत्काल इलाज मुहिया कराने के लिए ट्रामा सेंटर की जरूरत होती है. इसमे एक ही छत के नीचे आर्थोपेडिक, न्यूरोसर्जरी, बर्न, कार्डियक और प्लास्टिक सर्जरी जैसे एक्सपर्ट डॉक्टर और डायग्नोसिस फेसिलिटी की सुविधा होती है. यहां मरीजों के इलाज के लिए 20 बिस्तर की सुविधा होगी. मेडीकल कॉलेज के डीन यू.एस पैंकरा ने बताया कि अभी ट्रामा सेंटर में विशेषज्ञ डॉक्टर के तौर पर एक न्यूरो सर्जन, 2 आर्थोपेडिक और एक रेडियोलाजिस्ट की तैनाती होगी. ट्रामा सेंटर में 20 बिस्तर के साथ-साथ दो आधुनिक ओटी भी तैयार की गई है. डीन ने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में ट्रामा सेंटर खुलने की पूरी योजना बनकर तैयार हो चुकी है.
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