Chhattisgarh: नक्सल इलाकों में जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा होगी पुलिस की बड़ी जिम्मेदारी, चुनाव से पहले गाइडलाइन जारी
Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए पुलिस ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चुनावी प्रचार के दौरान नई गाईडलाइन जारी की है.
Bastar News: छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इस चुनाव की तैयारी को लेकर राजनीतिक दलों के साथ-साथ प्रशासन भी तैयारी में जुट गई है, लेकिन छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित इलाकों में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न कराना निर्वाचन आयोग के लिए काफी चुनौती पूर्ण होती है,खासकर पुलिस जवानों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों को भी अपनी जोखिम में डालनी पड़ती है.
वहीं चुनाव से पहले बस्तर में नक्सलियों की लगातार मिल रहे धमकी और बीते 8 महीनों में 7 स्थानीय जनप्रतिनिधियों की नक्सलियों के द्वारा हत्या के बाद बस्तर पुलिस जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा को पहली प्राथमिकता दे रही है, क्योंकि कुछ ही महीने बाद नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनावी प्रचार प्रसार शुरू होने वाली है..इसलिए छत्तीसगढ़ पुलिस ने जनप्रतिनिधियों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है....
आला अधिकारियों ने बैठक कर की नई गाइडलाइन जारी
दरअसल विधानसभा चुनाव को लेकर हाल ही में चार राज्यों के पुलिस के आला अधिकारियों की बैठक तेलंगाना के हैदराबाद में संपन्न हुई है. राजधानी रायपुर में भी डीजीपी अशोक जुनेजा ने प्रदेश के पुलिस के आला अधिकारियों की बैठक की, इस बैठक में छत्तीसगढ़ के सभी संभाग के आईजी, एसपी, केंद्रीय सुरक्षा बल के आला अधिकारी भी मौजूद रहे, इस बैठक में छत्तीसगढ़ में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न कराने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए.
खासकर नक्सल प्रभावित इलाकों में मतदान केंद्र बनाना और इन केंद्रों तक फोर्स को पहुंचाना, इसके साथ ही कड़ी सुरक्षा के बीच पोलिंग बूथ की टीम को यहां पहुंचा कर शांतिपूर्ण तरीके से मतदान संपन्न कराना, इसके लिए नई रणनीति भी बनाई जा रही है.
हालांकि मतदान से पहले अंदरूनी इलाकों में चुनावी प्रचार प्रसार के लिए पहुंचने वाले स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा को इस बैठक में पहली प्राथमिकता दी गई है. बीते कुछ महीनों से नक्सली लगातार चुनाव बहिष्कार को लेकर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रहे हैं. चुनावी प्रचार प्रसार के लिए आने वाले जनप्रतिनिधियों को मार भगाने जैसे प्रचार अपने प्रेस नोट के माध्यम से कर रहे हैं, साथ ही कुछ महीनों से स्थानीय जनप्रतिनिधियों को टारगेट कर उनकी हत्या कर रहे हैं. ऐसे में पुलिस इन सारे नक्सली गतिविधियों को काफी गंभीरता से ले रही है.
एक गाइडलाइन को सार्वजनिक किया गया है
यही वजह है कि अब चुनाव से पहले स्थानीय जनप्रतिनिधियों के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है, हालांकि इनमें से कई गाइडलाइन को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया है. जो केवल जनप्रतिनिधि और पुलिस तक सीमित रखने की जानकारी मिल रही है. लेकिन इन गाइडलाइन में मुख्य रूप से एक गाइडलाइन को सार्वजनिक किया गया है, जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में और अंदरूनी इलाकों में चुनाव प्रचार प्रसार में जाने से करीब 24 घंटे पहले ही पुलिस को जानकारी देनी होगी और बिना जानकारी दिए इन क्षेत्रों में चुनावी प्रचार प्रसार करने की मना ही होगी.
पुलिस लगातार रणनीति बना रही है
बस्तर के आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि लोकतंत्र के इस महापर्व में बाधा डालने हमेशा से ही नक्सली घटनाओं को अंजाम देने के फिराक में रहते है, हालांकि 2003 में हुए विधानसभा चुनाव से लेकर 2018 तक के चुनाव में ऐसी घटनाओं में काफी कमी आई है. जवानों के कड़ी सुरक्षा और नए-नए रणनीतियों की वजह से नक्सली अपने प्लान में कई बार फेल हुए हैं.
वहीं इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भी लगातार पुलिस रणनीति बना रही है. इसी रणनीति के तहत स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सुरक्षा को ध्यान में रखकर नई गाइडलाइन भी बनाई गई है. इससे पहले कई ऐसी घटनाएं हुई है जिसमें पुलिस को बिना जानकारी दिए ही जनप्रतिनिधियों ने नक्सली क्षेत्र का दौरा किया है. इस दौरान कई बार अप्रिय घटना भी घटी है.
24 घंटे पहले पुलिस को सूचना देनी होगी
ऐसे में इस नई गाइडलाइन में सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट जनप्रतिनिधियों को बिना स्थानीय पुलिस को जानकारी दिए बगैर अंदरूनी गांव में चुनावी प्रचार प्रसार में नहीं जाने की हिदायत दी जा रही है. वहीं चुनावी सभा के करीब 24 घंटे पहले पुलिस को सूचना देने के नियम लागू किये जा रहे हैं, ताकि सही समय पर जवानों की रोड अपनी पार्टी (ROP) को तैनात किया जा सके.
इसके अलावा अंदरुनी गांव में चुनावी प्रचार प्रसार के दौरान पहले से ही रूट तैयार कर पुलिस को दिए जाने के बात कहीं जा रही हैं, ताकि इस रूट में पहले से ही सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा सके, हालांकि इसके अलावा भी और कई गाइडलाइन बनाए गए हैं जिन्हें सुरक्षा गत कारणों से सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है.
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