Bastar Indravati River: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में पुलिस प्रशासन को अपने नए पुलिस कैंप खोलने के लिए लगातार स्थानीय ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, बीजापुर के सिलगेर में हुए आंदोलन के बाद जगह-जगह शुरू हुई यह आंदोलन कई जगहों पर हिंसा का भी रूप ले रही है. वहीं लगातार पुलिस कैंप के विरोध में ग्रामीण प्रदर्शन कर रहे हैं, बीजापुर जिले में भी हजारों ग्रामीण इंद्रावती नदी में बन रहे पुल निर्माण का काम रोकने और पुलिस कैंप नहीं खोलने के साथ ही सात सूत्रीय मांगों को लेकर फुंडरी गांव में प्रदर्शन कर रहे हैं.
प्रदर्शन में 15 से अधिक गांव के ग्रामीण शामिल
बताया जा रहा है कि प्रदर्शन में 15 से अधिक गांव के ग्रामीण शामिल हुए हैं. जिसमें महिला, पुरुष, बच्चे समेत बुर्जुग भी शामिल हैं. ग्रामीण इंद्रावती नदी में पुल निर्माण कार्यस्थल में अपने साथ कई दिनों का राशन सामान और बर्तन लेकर पहुंच गए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती वह वापस अपने गांव नहीं लौटेंगे. दरअसल बीजापुर जिले में इंद्रावती नदी के ऊपर नए पुल का निर्माण किया जा रहा है और पुल का काम शुरू कर दिया गया है, लेकिन आसपास के करीब 15 गांव के ग्रामीण अपना घर छोड़कर नदी किनारे फुंडरी में बन रहे पुल के पास इकट्ठा हो गए हैं. इन गांव में ताकिलोड़, रेकावाया, उसपरी, बेलनार समेत अन्य गांव के ग्रामीण शामिल हैं.
सात सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन में जुटे ग्रामीण
बीजापुर जिले में पिछले सप्ताह भर से ग्रामीण फुंडरी में आंदोलन पर बैठे हुए हैं, ग्रामीण अपने साथ राशन बर्तन लेकर आए हैं और जब तक मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक आंदोलन में डटे रहने की बात कह रहे हैं. हालांकि ग्रामीणों ने स्कूल-अस्पताल बनाने की मांग की है, इसके अलावा पेसा नियम 2022 को रद्द करने, सरकारी और गैर सरकारी नौकरी में 32 फीसदी आरक्षण आदिवासियों को देने, नदी पर पुल, सड़क, पुलिस कैंप स्थापित नहीं करने, आदिवासी इलाकों में बिना ग्रामसभा किए कोई भी कार्य नहीं करने और वन संरक्षण अधिनियम 2022 को रद्द करने के साथ ही बीजापुर, सुकमा के अंदरूनी गांव में ड्रोन से किए जा रहे हमले को बंद करने की मांग सरकार से रहे हैं.
ग्रामीणों का क्या है आरोप?
ग्रामीणों का आरोप है कि पुल बनने से उनके लिए मुश्किलें बढ़ जाएगी और फोर्स गांव में घुसेगी और इलाके के ग्रामीणों को परेशान करेगी. साथ ही उन्हें झूठे नक्सल मामलों में फंसाएगी, इसके अलावा नक्सली होने का आरोप लगाकर एनकाउंटर में ग्रामीणों को मारा जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि जल्द से जल्द पुल पर चल रहे निर्माण कार्य को बंद किया जाए वरना इसी तरह आंदोलन में डटे रहेंगे. पहले भी पुलिस के जवानों ने पुल का विरोध कर रहे ग्रामीणों पर लाठीचार्ज किया था जिससे कई ग्रामीण घायल हो गए थे और गांव के कुछ ग्रामीणों को नक्सल मामले में फंसा कर जेल में डाल दिया गया इसलिए ग्रामीण नहीं चाहते कि कैंप खुले.
पुल बनने से गांव का होगा विकास
इस मामले में बस्तर के आईजी सुंदरराज. पी का कहना है कि ग्रामीणों को पुल का विरोध नक्सलियों के द्वारा कराया जा रहा है. ग्रामीण भी चाहते हैं कि उनके गांव में पुल बने पुलिस कैंप खुले, लेकिन नक्सली लगातार बैकफुट पर आने के चलते ग्रामीणों को आगे कर कैंप और पुल का विरोध करवा रहे हैं. इससे पहले जहां भी इंद्रावती नदी पर पुल बने हैं उन गांवो में विकास पहुंचा है. स्कूल, अस्पताल और आंगनबाड़ी बनाया गया है.
अगर इंद्रावती नदी में पुल नहीं होगा तो ग्रामीण लकड़ी की छोटी डोंगी से इंद्रावती को पार करने के लिए मजबूर होते हैं और कई बार हादसे का शिकार होते हैं. ऐसे में पुलिस ग्रामीणों को मनाकर पुल निर्माण का कार्य जारी रखेगी, क्योंकि पुल बनने से और पुलिस कैंप खुलने से ग्रामीणों को इसका फायदा मिलेगा और उनके गांव तक विकास पहुंचेगा. फिलहाल ग्रामीणों को मनाने का कार्य किया जा रहा है.
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