Kondagaon News: धर्मांतरण के विरोध में हुआ प्रदर्शन, जनजातीय सुरक्षा मंच ने आरक्षण को लेकर की ये मांग
Kondagaon: बस्तर में धर्म परिवर्तन को लेकर मुद्दा छाया हुआ है. कोंडागांव में भी आदिवासी जनजाति सुरक्षा मंच ने धर्मांतरण का विरोध किया है. उन्होंने ऐसे लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं देने की अपील की है.

Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में इन दिनों धर्मांतरण का मुद्दा छाया हुआ है. धर्मांतरण को लेकर बीजेपी के साथ-साथ आदिवासी समाज भी लंबे समय से इसका विरोध करता आ रहा है. छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में भी आदिवासी जनजाति सुरक्षा मंच ने धर्मांतरण का विरोध किया है. उन्होंने धर्मांतरण किये लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं देने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया है.
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
इस धरना-प्रदर्शन में बस्तर संभाग के सातों जिलों के सैकड़ों आदिवासी ग्रामीण इकट्ठा हुए. आदिवासी सुरक्षा मंच के सदस्यों ने सभा आयोजित कर कोंडागांव कलेक्टर को राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है. धर्मांतरण के विरोध सभा में पूर्व शिक्षा मंत्री केदार कश्यप और महिला बाल विकास मंत्री लता उसेंडी भी मौजूद रहीं.
आदिवासी समाज ने की डी-लिस्टिंग की मांग
समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि आदिवासी समाज लंबे समय से धर्मांतरण कराने वाले लोगों को डी- लिस्ट करने की मांग कर रहा है. उनका तर्क है कि समाज के लोगों को प्रलोभन देकर उनकी गरीबी का फायदा उठाकर कुछ लोगों के द्वारा उनका धर्मांतरण कराया जा रहा है. आज इसके चलते समाज की आबादी लगातार घटती जा रही है. धर्मांतरण को लेकर अभी तक आदिवासी समाज मौन रहा लेकिन अब मौन नहीं रहेगा.
अगर कोई धर्म परिवर्तन कर दूसरे धर्म में जा रहा है तो उसे आदिवासी या अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले आरक्षण सहित सभी लाभ से वंचित किया जाना चाहिए. क्योंकि दूसरे समाज में रहते हुए उन्हें सभी लाभ मिल रहा है जो वास्तव में केवल आदिवासी हैं. उन्हें कई क्षेत्रों में सरकार से मिलने वाले लाभ से वंचित होना पड़ रहा है.
जरूरत पड़े तो कानून बनाये सरकार
आदिवासी जनजाति सुरक्षा मंच के अध्यक्ष खेम नेताम का कहना है कि बस्तर संभाग में बड़े पैमाने पर भोले-भाले आदिवासियों को प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. इससे आदिवासी समाज की आबादी घट रही है. अगर धर्म परिवर्तन कोई कर रहा है तो उन्हें उसी का लाभ मिले. अनुसूचित जनजाति का लाभ देना गलत है और आदिवासी मंच इसका विरोध करता है. अगर इसके लिए कानून बनाना पड़े तो सरकार कानून बनाये, नहीं तो आने वाले समय में आदिवासी आबादी ही विलुप्त हो जाएगी.
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