Bastar Railway Project: दोहरीकरण का काम अटका, बस्तर के लोगों को नहीं मिल पा रही नई पैसेंजर ट्रेन की सौगात
Bastar Railway Project: दोहरीकरण का कार्य अटकने की वजह से बस्तरवासियों को नई ट्रेन की सौगात नहीं मिल पा रही है. 50 किलोमीटर का काम अब भी बाकी है. अब साल के अंत तक पूरा करने का रखा गया लक्ष्य है.
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Bastar Railway Project: बस्तर में रेल सुविधाओं के विस्तार की बस्तरवासी लगातार मांग करते आ रहे हैं. दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल से विशाखापट्टनम तक एकमात्र रेल लाइन होने की वजह से ना ही नई ट्रेनों की सौगात बस्तर वासियों को मिल पा रही है और ना ही दोहरीकरण का काम तेजी से हो रहा है.
आलम ये है कि पिछले 6 वर्षों से दोहरीकरण का कार्य अटका हुआ है. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि दंतेवाड़ा के किरंदुल से विशाखापट्टनम तक साल 2014 में दोहरीकरण का कार्य पूरा किया जाना था, लेकिन आज साल 2022 आने के बाद भी दंतेवाड़ा के गीदम से किरंदुल तक का लगभग 50 किलोमीटर का काम अटका हुआ है.
साल के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य
बस्तर में किरंदुल से विशाखापट्टनम को जोड़ने वाली एकमात्र केके रेल मार्ग है. एनएमडीसी लौह अयस्क का परिवहन भी करती है. किरंदुल बचेली से एक दिन में लगभग 10 मालगाड़ी पर हजारों टन लौह अयस्क का विशाखापट्टनम तक परिवहन किया जाता है और वर्षों से एनएमडीसी लौह अयस्क का परिवहन कर रही. लेकिन एक ही रेल लाइन होने की वजह से किरंदुल बचेली और भांसी क्षेत्र में पैसेंजर ट्रेनों की सुविधा नहीं मिल पा रही है.
रेल प्रशासन ने एनएमडीसी से मिलकर साल 2014 में किरंदुल से ओड़िशा के कोरापुट तक दोहरीकरण का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन आज तक प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका है. ईस्ट कोस्ट रेलवे के सीनियर डिविजनल मैनेजर अनूप सतपति का कहना है कि कोरापुट से गीदम तक का दोहरीकरण का कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन गीदम से किरंदुल तक लगभग 50 किमी तक अभी दोहरीकरण का कार्य होना है. उन्होंने बताया कि गीदम से किरंदुल तक कई जगहों पर फॉरेस्ट की जमीन पर से पटरी गुजरनी है, इस वजह से काम अटका हुआ है. डीआरएम ने कहा कि इसके लिए दंतेवाड़ा कलेक्टर से चर्चा की गई है और फॉरेस्ट के बड़े अधिकारियों से भी चर्चा किया जाना है. उसके बाद गीदम से किरंदुल तक का दोहरीकरण का काम पूरा किया जाएगा. डीआरएम सतपति ने कहा कि इस साल के आखिरी तक दोहरीकरण का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रेल प्रशासन ने रखा है.
6 वर्षों से अटका दोहरीकरण का काम
गौरतलब है कि पिछले 6 वर्षों दोहरीकरण की बात कही जा रही है, लेकिन प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए ना ही रेल प्रशासन और ना ही एनएमडीसी ने कोई तत्परता दिखाई है. इसकी वजह से बस्तर में रेल सुविधाओं का विस्तार नहीं हो पा रहा है और खासकर नई ट्रेनों की सौगात भी बस्तरवासियों को नहीं मिल पा रही है. बस्तर को दूसरे राज्यों से जोड़ने के लिए रेल मार्ग ही सबसे प्रमुख साधन है. ऐसे में बस्तरवासी भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द अगर दोहरीकरण का कार्य पूरा होता है तो यात्री ट्रेनों का लाभ मिल पाएगा. फिलहाल एक बार फिर रेल प्रशासन के अधिकारियों से दोहरीकरण कार्य को जल्द पूरा करने का आश्वासन मिला है.
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