Bastar Rains: हादसे के बाद भी बस्तर प्रशासन लापरवाह, मांग के बावजूद सालेमेटा गांव में नहीं बना पुल
ग्रामीणों की मांग को 10 साल होने के बाद भी पुल नहीं बन पाया है. पुल नहीं होने से बच्चे और ग्रामीण जान जोखिम में डालकर बांध और नाले के पानी से लबालब भरी तेज बहाव सड़क को पार करने को मजबूर हैं.
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Bastar Rains: बस्तर में इस साल हुई बारिश लोगों के लिए आफत लेकर आई है. बारिश के पानी ने कई घरों को तबाह कर दिया. पूरे बस्तर संभाग में 12 से अधिक लोगों की जान चली गई. जगदलपुर शहर के नाले में तेज बहाव की वजह से 1 स्कूली छात्रा की मौत हो गई और 2 छात्राओं को रेस्क्यू कर लिया गया. बावजूद इसके प्रशासन हादसे के बाद भी कोई सबक लेता दिखाई नहीं दे रहा है. बस्तर जिले के सालेमेटा गांव में स्कूली बच्चे ओवरफ्लो कोसारटेडा बांध का पानी पार करने को जान की बाजी लगा रहे हैं. एक अदद पुल नहीं होने के कारण समस्या पिछले 10 सालों से बनी हुई है.
जिम्मेदारों को है हादसे का इंतजार
सड़क पर कोसारटेडा बांध का पानी तेजी से बहता है. तेज बहाव में सड़क पार करना स्कूली बच्चों और ग्रामीणों के लिए बड़ी चुनौती होती है. बीते दिनों सड़क से गुजरने के दौरान एक ग्रामीण तेज बहाव में हादसे का शिकार हो चुका है और बाइक भी बह गयी. छात्रों ने बताया कि सड़क पर जलस्तर 4 से 5 फीट बढ़ने के कारण मजबूरन स्कूलों की छुट्टी करनी पड़ती है. बारिश के मौसम में नाले का जलस्तर बढ़ जाता है और कोसारटेडा बांध भी ओवरफ्लो हो जाता है.
ये तस्वीर बस्तर के सालेमेटा गांव की है, वीडियो में देखिए स्कूली बच्चे कैसे उनफते तेज बहाव के बांध को पारकर स्कूल पहुंचते हैं..ये हालात पिछले 10 सालों से बनी हुई है,लेकिन जिम्मेदारों को किसी बड़े हादसे का इंतजार है..@gyanendrat1 @RChoubeyCG@ChhattisgarhCMO pic.twitter.com/v8Gxafcrh1
— Ashok Naidu (ABP News) (@Ashok_Naidu_) September 13, 2022
नाले और कोसारटेडा बांध के बीच जर्जर हो चुकी सड़क को पार कर स्कूली छात्र और ग्रामीण आना-जाना करते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पुल बनाने की कई बार मांग के बावजूद सुनवाई नहीं हो रही है. स्कूली बच्चों के साथ सभी ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उफनते नाले को पार करने के दौरान कई हादसे भी हो चुके हैं. लेकिन प्रशासन पूरी तरह से लापरवाह बना हुआ है.
सरकारी स्कूल के प्राचार्य ताम्रध्वज साहू ने बताया कि बारिश की वजह से रास्ते पर बड़े-बड़े गड्ढे बन जाते हैं. मजबूरी में शिक्षक ही पैसे जमा कर स्कूली बच्चों की मदद से गड्ढों को पाटने का काम करते हैं. जल संसाधन विभाग के अधिकारी आरके ऋचार्या ने बताया कि ग्रामीणों और स्कूली बच्चों की शिकायत प्राप्त हुई थी.
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10 वर्षों से सड़क पर पुल की है मांग
पुल बनाने की योजना तैयार की गई थी, लेकिन सड़क का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत किया गया है. विभाग ने भी पुल बनाने का प्रस्ताव दिया है लेकिन अब तक स्वीकृत नहीं हो पाई है. इसलिए विभाग ने कार्य को ड्रॉप आउट कर दिया. दो विभागों की आपसी खींचतान में पिछले 10 वर्षों से सड़क पर पुल नहीं बन पाया है.
बांध से प्रभावित ग्रामीणों की सबसे बड़ी मांग पुल बनाने की थी. बावजूद ग्रामीणों की मांग को 10 साल होने के बाद भी पुल नहीं बन पाया है. पुल नहीं होने से हर दिन स्कूली बच्चे और ग्रामीण जान जोखिम में डालकर बांध और नाले के पानी से लबालब सड़क को पार करने को मजबूर हैं.
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