Bastar: राकेश टिकैत बोले- 'किसान अपने हक के लिए आंदोलन करते हैं, उन्हें नक्सली कह दिया जाता है'
Rakesh Tikait In Bastar: राकेश टिकैत ने कहा कि जहां भी ग्रामीण किसान अपने हक के लिए आंदोलन करते हैं, वहां उन्हें नक्सली कह जेल में डाल दिया जाता है. बस्तर में भी लंबे समय से ऐसा ही किया जा रहा है.
Bastar News: भारतीय किसान यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक राकेश टिकैत पिछले कुछ दिनों से छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के अलग-अलग जिलों का दौरा कर रहे हैं. अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान राकेश टिकैत बस्तर भी पहुंचे. उन्होंने जगदलपुर (Jagdalpur) के कोया समाज के भवन में स्थानीय किसानों के साथ बैठक की.
किसानों को नक्सली बताने का लगाया आरोप
राकेश टिकैत ने कहा कि जहां भी ग्रामीण किसान अपने हक के लिए आंदोलन करते हैं, वहां उन्हें नक्सली कह दिया जाता है. बस्तर में भी लंबे समय से जल, जंगल और जमीन के लिए यहां के भोले भाले आदिवासी ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन, सरकार के द्वारा उन्हें नक्सली कहकर या तो जेल में डाल दिया जाता है, या फिर प्रताड़ित किया जाता है.
हक के लिए शांतिपूर्ण तरीके से करें आंदोलन
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली जैसी जगहों पर पर्यावरण और प्रदूषण नजर आता है, लेकिन बस्तर के जंगल लगातार कट रहे हैं. यहां के खनिजों का दोहन हो रहा है. प्रदेश में कोल माइंस बंद होते हैं तो उनकी भी फीलिंग नहीं की जाती है. इन सब जगहों पर पर्यावरण और प्रदूषण सरकार को नहीं दिखता, क्योंकि इन जगहों पर पैसे कमाने का बड़ा गोरखधंधा चलता है. इस दौरान उन्होंने नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी स्टील प्लांट से प्रभावित किसानों को अपने हक के लिए शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाने का सुझाव दिया.
निर्दोष ग्रामीण किसानों पर हो रहा अत्याचार
राकेश टिकैत ने कहा कि बस्तर में पांचवी अनुसूची लागू है, लेकिन ग्राम पंचायत की फर्जी बैठक कर जबरन दस्तावेज तैयार कर जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है. बस्तर जिले के नगरनार में एनएमडीसी स्टील प्लांट के शुरू होने से पहले किसानों को उम्मीद थी कि उन्हें जमीन के बदले जमीन दी जाएगी और प्रभावित लोगों को नौकरी भी मिलेगी. अब जब प्लांट बनकर तैयार हो गया है, इसे केंद्र सरकार निजी हाथों में बेच रही है. इसका पीड़ित किसान विरोध कर रहे हैं.
जमीन के बदले जमीन दे सरकार
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि पीड़ित किसानों को नौकरी मिले या जिन किसानों से कम दर पर जमीन ली गई है, उन्हें जमीन के बदले जमीन दी जाए. उन्होंने प्रभावित किसानों को आश्वस्त किया कि अगर वे निजीकरण के विरोश में आंदोलन करते हैं तो इसे राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में संयुक्त किसान मोर्चा उनकी पूरी मदद करेगी. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बस्तर के भोले भाले आदिवासी ग्रामीणों को अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए जेल में ठूसा जा रहा है. निर्दोष ग्रामीणों को नक्सली बताया जा रहा है, जो कि सरासर गलत है. आने वाले समय में जरूर संयुक्त किसान मोर्चा बस्तर में ग्रामीण किसानों पर हो रहे इन अत्याचारों को लेकर लड़ाई लड़ेगी.
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